कुरुक्षेत्र (हरियाणा), नौ फरवरी भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत ने ‘आंदोलन-जीवी’ वाले बयान के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मंगलवार को आलोचना की और पूछा कि क्या महान स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह जैसे लोगों को भी इस श्रेणी में रखा जाएगा।
जिले के पिहोवा में गुमथला गढू गांव में ‘किसान महापंचायत’ को संबोधित करते हुए टिकैत ने कहा कि सरकार को इस गलत धारणा में नहीं रहना चाहिए कि प्रदर्शनकारी किसान अपनी मांगों के पूरा हुए बिना अपने घरों को लौट जाएंगे।
एक सप्ताह के भीतर हरियाणा में यह तीसरी महापंचायत थी।
प्रधानमंत्री या उनके द्वारा इस्तेमाल किये गये ‘आंदोलन-जीवी’ शब्द का नाम लिए बगैर उन्होंने कहा, ‘‘संसद में, वे कह रहे हैं कि ये परजीवी हैं। क्या भगत सिंह परजीवी थे जिन्होंने इस राष्ट्र के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया? इस आंदोलन के दौरान मरने वाले लगभग 150 किसानों का क्या? क्या वे भी परजीवी थे? क्या वे आंदोलन करने और मरने के लिए दिल्ली गए थे?’’
टिकैत ने कहा कि कुरुक्षेत्र ‘क्रांति’ और ‘न्याय’ की भूमि है और इसीलिए किसानों को न्याय दिलाने के लिए यहां ‘महापंचायत’ आयोजित की जा रही है।
उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदर्शनकारी किसानों को क्षेत्र और अन्य विचारों के आधार पर विभाजित करने का प्रयास किया जा रहा है।
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘वे आपको पंजाब-हरियाणा के आधार पर सिख और गैर-सिख, हिंदू और मुस्लिम के रूप में विभाजित करने की कोशिश करेंगे।’’ उन्होंने कहा कि केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन देशव्यापी है और पंजाब या हरियाणा तक सीमित नहीं है।
टिकैत ने कहा, ‘‘हम इस लड़ाई को जीतेंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमने हमेशा कहा है कि अगर सरकार से बात करनी है तो 40 प्रतिनिधि हैं जो उनसे बात कर सकते हैं, जो भी इन यूनियनों का फैसला होगा वह हमें स्वीकार्य होगा।’’
टिकैत ने कहा कि प्रदर्शनकारी किसान अपना समय घर, खेतों और आंदोलन के बीच बांटेंगे। उन्होंने कहा कि हर किसान के परिवार को दिल्ली सीमा विरोध स्थलों पर कम से कम एक व्यक्ति को भेजकर आंदोलन में भाग लेने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारी किसान तीनों कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर एक लंबे संघर्ष के लिए तैयार हैं और महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और ओडिशा जैसे अन्य राज्यों का दौरा करेंगे ताकि उनके संघर्ष के लिए किसानों का समर्थन मिल सके।
उन्होंने कहा कि एक किसान अपने जीवनकाल के दौरान अपनी कृषि भूमि को अपने बेटे को भी हस्तांतरित नहीं करता है तो वह इसे कॉर्पोरेट्स को कैसे दे सकता है।
टिकैत ने केन्द्र पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘पिछले दो दिनों में, वे छोटे किसानों के इस नए मुद्दे को लाये हैं, उनका कहना है यह (आंदोलन) छोटे किसानों की लड़ाई नहीं है, बल्कि ट्रैक्टरों में आने वाले बड़े किसानों की है।’’
उन्होंने किसानों से ऐसी चीजों से गुमराह न होने की अपील की। उन्होंने दावा किया कि सरकार की गलत नीतियों के कारण किसान कर्ज के बोझ तले दब गए हैं।
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