देश की खबरें | दिल्ली में रेमडेसिविर की कालाबाजारी करने के आरोप में तीन लोग गिरफ्तार

पुलिस ने सोमवार को इस बात की जानकारी दी।

रेमडेसिविर का इस्तेमाल कोविड-19 के गंभीर रूप से बीमार मरीजों के लिए इलाज में किया जाता है।

पुलिस ने बताया कि आठ मई को एक नकली ग्राहक को रेमडेसिविर दवा की शीशी बेचने के आरोप में अंशुल अग्रवाल (22) को गिरफ्तार किया गया था। यह ग्राहक पुलिस की ओर से भेजा गया था।

अंशुल अपने पिता के साथ उनकी कपड़े की दुकान पर काम करता है। उसके सहयोगियों ने उसे रेमडेसिविर दवा के ग्राहकों से फोन पर संपर्क कर सौदा पक्का करने का काम सौंपा था। प्रत्येक सौदे के उसे दो हजार रुपये मिलते थे।

पुलिस के मुताबिक नकली ग्राहक ने आठ मई को अंशुल से फोन पर बात कर रेमडेसिविर दवा की एक शीशी के लिए 32 हजार रुपये में समझौता किया। जब अंशुल ग्राहक को रेमडेसिविर दवा देने आया तो उसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।

पुलिस ने अंशुल के दो और सहयोगी सुनील कुमार और राहुल पाल को भी गिरफ्तार कर लिया। दोनों ही नेहरू नगर के रहने वाले हैं।

सुनील दिल्ली के गुलाबी बाग स्थित एक अस्पताल में नर्सिंग सहायक के तौर पर काम करता है जबकि राहुल गाजियाबाद के एक अस्पताल में नर्सिंग सहायक है।

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि यह दोनों कोविड-19 से जान गंवाने वाले मरीजों के इलाज में शेष रह गयी दवा को चुरा कर उसे बेचते थे।

बाहरी दिल्ली के पुलिस उपायुक्त परविंदर सिंह ने बताया कि इस संबंध में जानकारी मिलने के बाद एक नकली ग्राहक भेजा गया और रेमडेसिविर दवा के लिए सौदा तय हुआ।

रेमडेसिविर दवा की एक शीशी के लिए 32 हजार रूपये में सौदा तय हुआ। दवा की शीशी देने आए अंशुल को मौके से गिरफ्तार कर लिया गया जबकि उससे पूछताछ के बाद सुनील और राहुल को भी गिरफ्तार कर लिया गया।

इन लोगों के पास से रेमडेसिविर दवा की छह शीशियां बरामद की गयी हैं।

पुलिस ने इन लोगों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 420 और 188 के अलावा महामारी अधिनियम एवं आपदा प्रबंधन अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।

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