प्रयागराज (उप्र), 14 नवंबर समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रयागराज में छात्रों के विरोध प्रदर्शन से निपटने और परीक्षाओं को ठीक से आयोजित करने में विफल रहने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार की आलोचना की।
फूलपुर में एक चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए यादव ने उप्र लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) द्वारा राज्य सिविल सेवा (पीसीएस)-प्रारंभिक परीक्षा और आरओ-एआरओ परीक्षा अलग-अलग दो दिन में आयोजित कराने के फैसले के खिलाफ चल रहे छात्रों के विरोध प्रदर्शन का जिक्र करते हुए सरकार की आलोचना की।
उन्होंने कहा, ‘‘जो लोग ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की बात करते हैं, वे एक दिन में छात्रों के लिए परीक्षा भी नहीं करवा सकते।’’
यादव ने छात्रों के साथ एकजुटता व्यक्त की, लेकिन राजनीतिकरण के आरोपों से बचने के लिए विरोध प्रदर्शन में शामिल होने से परहेज किया।
उन्होंने राज्य में परीक्षाओं के सुचारु संचालन को सुनिश्चित करने में असमर्थता के लिए भाजपा की आलोचना की।
उन्होंने कहा, ‘‘यह वही सरकार है जो ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ को बढ़ावा देती है, लेकिन उत्तर प्रदेश में वे हमारे युवाओं के लिए एक दिन में परीक्षा तक नहीं करा सकते।
प्रयागराज में हजारों छात्र इस फैसले के खिलाफ लगातार चौथे दिन बृहस्पतिवार को विरोध प्रदर्शन किया जिनका दावा है कि इससे अनावश्यक भ्रम और कठिनाई बढ़ रही है।
यादव ने प्रश्नपत्र लीक, बार-बार परीक्षा के स्थगित और रद्द होने जैसे मुद्दों का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि भाजपा सरकार युवाओं का भविष्य बर्बाद कर रही है।
उन्होंने फूलपुर में होने वाले आगामी उपचुनाव पर भी अपना ध्यान केंद्रित किया, जहां समाजवादी पार्टी अपने उम्मीदवार के रूप में मुस्तफा सिद्दीकी का समर्थन कर रही है।
यादव ने उपचुनाव स्थगित करने के लिए भाजपा की आलोचना की, जो मूल रूप से 13 नवंबर को होने थे, लेकिन अब 20 नवंबर तक टाल दिए गए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इन उपचुनावों में भाजपा को हार का सामना करना पड़ेगा।’’
यादव ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भी सीधा हमला बोला और कहा, ‘‘लोग जानते हैं कि यह सरकार जाने वाली है।’’ उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र चुनाव का नतीजा जो भी हो, आदित्यनाथ की कुर्सी नहीं बचेगी।
मुख्यमंत्री की अक्सर आक्रामक बयानबाजी पर टिप्पणी करते हुए यादव ने कहा, ‘‘हमारे मुख्यमंत्री बहुत शिक्षित और जानकार हैं, लेकिन वे कम बोलने की जरूरत होने पर बहुत ज्यादा बोलते हैं। इसलिए हमारे यहां ‘मौनी बाबा’ की परंपरा है - यानी कम बोलना। वह जब भी बोलते हैं, कड़वाहट होती है। उनकी नकारात्मक मानसिकता उनकी नकारात्मक में झलकती है।’’
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