रायपुर, आठ जनवरी छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि राज्य के उत्तरी क्षेत्र में लेमरू हाथी अभयारण्य के दायरे में आने वाली 39 कोयला खदानों में उत्खनन नहीं किया जाएगा।
बघेल ने शनिवार को रायपुर में हवाई पट्टी पर संवाददाताओं से बातचीत के दौरान कहा कि राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को सूचित किया है कि इन कोयला खदानों की नीलामी पर विचार नहीं किया जा सकता।
लेमरू हाथी अभयारण्य में कोयला खदानों की नीलामी पर विचार नहीं करने के फैसले पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि लेमरू हाथी कॉरिडोर की सीमा में 39 कोयला खदानें आ गई हैं, इसलिए वहां उत्खनन करने का सवाल ही नहीं उठता।
बघेल ने कहा कि शुक्रवार को केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी के साथ आयोजित वर्चुअल बैठक में भी इसकी जानकारी दे दी गई है।
राज्य के जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया था कि केंद्रीय मंत्री के साथ बैठक के दौरान बघेल ने कहा था कि गिधमुरी-पतुरिया कोयला खदान और मदनपुर दक्षिण कोयला खदान, लेमरू हाथी अभयारण्य के अंतर्गत आने के कारण इन खदानों की नीलामी और उत्खनन पर विचार नहीं किया जा सकेगा।
छत्तीसगढ़ सरकार ने अगस्त 2019 को मंत्रिमंडल की बैठक में 1995.48 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में लेमरू हाथी रिजर्व गठित करने का निर्णय लिया था। राज्य सरकार का मानना है कि राज्य के उत्तर क्षेत्र में हाथियों का स्थायी ठिकाना बन जाने से उनकी अन्य स्थानों पर आवाजाही तथा इससे होने वाले जान-माल के नुकसान पर अंकुश लगेगा।
इधर मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक और सामाजिक कार्यकर्ता आलोक शुक्ला ने राज्य सरकार के इस फैसले का स्वागत किया और साथ ही सवाल किया कि राज्य सरकार उसी इलाके में जैव विविधता संपन्न हसदेव क्षेत्र में स्थित कोयला खदान पर चुप क्यों है।
शुक्ला ने बातचीत के दौरान कहा कि ‘‘हम हाथी अभयारण्य क्षेत्र में कोयला खनन की अनुमति नहीं देने के सरकार के फैसले का स्वागत करते हैं। लेकिन सरगुजा जिले में परसा और केंते एक्सटेंशन खदान पर सरकार चुप क्यों है, जहां आदिवासी खनन का विरोध कर रहे हैं।
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