देश की खबरें | युद्ध केवल सीमाओं पर ही नहीं, देश में भी कई मोर्चों पर एक साथ लड़ा जाता है : मोदी
एनडीआरएफ/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: ANI)

नयी दिल्ली, 26 जुलाई करगिल युद्ध में सशस्त्र बलों के पराक्रम की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि युद्ध की परिस्थिति में हमें बहुत सोच-समझ कर बोलना चाहिए क्योंकि इससे सैनिकों और उनके परिवार के मनोबल पर बहुत गहरा असर पड़ता है।

उन्होंने यह भी कहा कि आजकल युद्ध केवल सीमाओं पर ही नहीं लड़े जाते हैं, देश में भी कई मोर्चों पर एक साथ लड़ा जाता है और हर एक देशवासी को उसमें अपनी भूमिका तय करनी होती है।

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आकाशवाणी पर मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 67वीं कड़ी में लोगों के साथ अपने विचार साझा करते हुए प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान पर भी हमला बोला और कहा कि करगिल युद्ध भारत की मित्रता के जवाब में पड़ोसी देश द्वारा पीठ में छूरा घोंपने का परिणाम था।

ज्ञात हो कि भारतीय सैनिकों के करगिल की चोटियों से पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ने के बाद 26 जुलाई 1999 को करगिल युद्ध को समाप्त घोषित किया गया था। भारत की जीत का जश्न मनाने के लिए इस दिन को ‘करगिल विजय दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।

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मोदी ने कहा, ‘‘युद्ध की परिस्थिति में, हम जो बात कहते हैं, करते हैं, उसका सीमा पर डटे सैनिक के मनोबल पर, उसके परिवार के मनोबल पर बहुत गहरा असर पड़ता है। ये बात हमें कभी भूलनी नहीं चाहिए और इसीलिए हमारा आचार, हमारा व्यवहार, हमारी वाणी, हमारे बयान, हमारी मर्यादा, हमारे लक्ष्य, सभी में, कसौटी में ये जरूर रहना चाहिए कि हम जो कर रहे हैं, कह रहे हैं, उससे सैनिकों का मनोबल बढ़े, उनका सम्मान बढ़े।’’

उन्होंने कहा कि राष्ट्र सर्वोपरि का मंत्र लेकर, एकता के सूत्र में बंधे देशवासी, हमारे सैनिकों की ताक़त को कई हज़ार गुणा बढ़ा देते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कभी-कभी हम इस बात को समझे बिना सोशल मीडिया पर ऐसी चीजों को बढ़ावा दे देते हैं जो हमारे देश का बहुत नुकसान करती हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘कभी-कभी जिज्ञासावश संदेश आगे बढ़ाते रहते हैं | पता है गलत है, फिर भी यह करते रहते हैं| आजकल, युद्ध, केवल सीमाओं पर ही नहीं लड़े जाते हैं, देश में भी कई मोर्चों पर एक साथ लड़ा जाता है और हर एक देशवासी को उसमें अपनी भूमिका तय करनी होती है। हमें भी अपनी भूमिका, देश की सीमा पर, दुर्गम परिस्तिथियों में लड़ रहे सैनिकों को याद करते हुए तय करनी होगी।’’

प्रधानमंत्री ने यह बात ऐसे समय की है जब लद्दाख की गलवान घाटी में सीमा पर चीन के साथ गतिरोध बना हुआ है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी इस मुद्दे पर सरकार की आलोचना की है।

उल्लेखनीय है कि सीमा पर गतिरोध के बीच ही प्रधानमंत्री ने पिछले दिनों लेह-लद्दाख का दौरा किया था। उन्होंने ना सिर्फ जवानों को संबोधित किया बल्कि चीन के साथ हिंसक झड़प में घायल जवानों से मुलाकात भी की थी। हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी क्षेत्र का दौरा किया।

करगिल विजय दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि यह युद्ध किन परिस्थितियों में हुआ था वह भारत कभी नहीं भूल सकता।

मोदी ने कहा, ‘‘पाकिस्तान ने बड़े-बड़े मंसूबे पालकर भारत की भूमि हथियाने और अपने यहां चल रही आंतरिक कलह से ध्यान भटकाने को लेकर दुस्साहस किया था जबकि भारत, पाकिस्तान से अच्छे संबंधों के लिए प्रयासरत था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे स्वभाव के लोग जो हित करता है, उसका भी नुकसान ही सोचते हैं। इसीलिए भारत की मित्रता के जवाब में पाकिस्तान द्वारा पीठ में छुरा घोंपने की कोशिश हुई थी।’’

मोदी ने कहा कि लेकिन उसके बाद भारत की वीर सेना ने जो पराक्रम दिखाया, जो ताकत दिखाई, उसे पूरी दुनिया ने देखा।

उन्होंने कहा, ‘‘आप कल्पना कर सकते हैं कि ऊंचे पहाड़ों पर बैठा हुआ दुश्मन और नीचे से लड़ रही हमारी सेनाएं, हमारे जवान। लेकिन जीत पहाड़ की ऊंचाई की नहीं, भारत की सेनाओं की, उनके हौसले और सच्ची वीरता की हुई।’’

मोदी ने अपने संबोधन के दौरान करगिल विजय के बाद स्वतंत्रता दिवस पर दिए गए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजयेपी के भाषण को याद किया और कहा कि उनकी बातें आज भी प्रासंगिक हैं।

उन्होंने कहा कि अटल जी ने, तब, देश को, गांधी जी के एक मंत्र की याद दिलायी थी। महात्मा गांधी का मंत्र था, कि यदि किसी को कभी कोई दुविधा हो कि उसे क्या करना और क्या न करना, तो, उसे भारत के सबसे गरीब और असहाय व्यक्ति के बारे में सोचना चाहिए। उसे ये सोचना चाहिए कि जो वो करने जा रहा है, उससे, उस व्यक्ति की भलाई होगी या नहीं होगी।

उन्होंने कहा, ‘‘गांधी जी के इस विचार से आगे बढ़कर अटल जी ने कहा था कि कारगिल युद्ध ने हमें एक दूसरा मंत्र दिया है - ये मंत्र था, कि, कोई महत्वपूर्ण निर्णय लेने से पहले, हम ये सोचें कि क्या हमारा ये कदम उस सैनिक के सम्मान के अनुरूप है जिसने उन दुर्गम पहाड़ियों में अपने प्राणों की आहुति दी थी।’’

मोदी ने इस बात का भी जिक्र किया कि उन्हें भी बहादुरों का शौर्य देखने के लिए करगिल जाने का मौका मिला था। उन्होंने बताया कि उनका दौरा उनकी जिंदगी के सबसे सुनहरे पलों में एक है।

प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर यह भी कहा कि कोरोना वायरस का खतरा टला नहीं है और अब भी वह उतना ही घातक है जितना शुरुआत के दिनों में था। उन्होंने लोगों से पूरी सावधानी बरतने की अपील की।

मोदी ने कहा कि पिछले कुछ महीनों से पूरे देश ने एकजुट होकर जिस तरह कोरोना वायरस से मुकाबला किया है उसने अनेक आशंकाओं को गलत साबित कर दिया है।

उन्होंने कहा कि देश में इस महामारी से उबरने की दर अन्य देशों के मुकाबले बेहतर है। साथ ही कोरोना वायरस के संक्रमण से मृत्यु-दर भी दुनिया के ज्यादातर देशों से काफी कम है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बार 15 अगस्त भी कोरोना वायरस महामारी की इस आपदा के बीच ‘‘अलग परिस्थितियों’’ में होगा।

उन्होंने देशवासियों से आग्रह किया कि वे स्वतंत्रता दिवस पर महामारी से आजादी का संकल्प लें, आत्मनिर्भर भारत का संकल्प लें, कुछ नया सीखने और सिखाने का संकल्प लें तथा अपने कर्त्तव्यों के पालन का संकल्प लें।

प्रधानमंत्री ने 10वीं और 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले छात्र-छात्राओं को भी भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी।

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