नयी दिल्ली, 25 दिसंबर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने, कोविड-19 रोधी टीकों की 220 करोड़ से अधिक खुराक देने और 400 खरब डॉलर के निर्यात के आंकड़े को छूने जैसी उपलब्धियों का जिक्र करते हुए रविवार को कहा कि वर्ष 2022 की इन विभिन्न सफलताओं ने आज पूरे विश्व में भारत के लिए एक विशेष स्थान कायम किया है।
आकाशवाणी के मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 96वीं और इस वर्ष की अंतिम कड़ी में अपने विचार साझा करते हुए प्रधानमंत्री ने कई देशों में कोविड-19 के बढ़ते मामलों की ओर देशवासियों का ध्यान आकर्षित करते हुए उन्हें सतर्क, सुरक्षित और सावधान रहने की सलाह दी।
उन्होंने भारत को जी-20 समूह की अध्यक्षता मिलने का उल्लेख किया और देशवासियों से इस आयोजन को एक ‘‘जन-आंदोलन’’ बनाने का आह्वान किया।
मोदी ने कहा, ‘‘वर्ष 2022 वाकई कई मायनों में बहुत ही प्रेरक व अद्भुत रहा। इस साल भारत ने अपनी आजादी के 75 वर्ष पूरे किए और इसी वर्ष अमृतकाल का प्रारंभ हुआ। इस साल देश ने नयी रफ्तार पकड़ी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘साल 2022 की विभिन्न सफलताओं ने आज पूरे विश्व में भारत के लिए एक विशेष स्थान बनाया है। 2022 यानी भारत द्वारा दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का मुकाम हासिल करना, भारत द्वारा 220 करोड़ कोविड-19 रोधी टीके देने के अविश्वसनीय आंकड़े को पार करना और भारत द्वारा निर्यात का 400 अरब डॉलर का जादुई आंकड़ा पार कर जाना।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्ष 2022 में जन-जन ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ के संकल्प को अपनाया और देश के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि भारत ने अंतरिक्ष, ड्रोन, रक्षा और खेल की दुनिया सहित हर क्षेत्र में अपना दमखम दिखाया।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2022 ‘‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’’ की भावना के विस्तार के लिए भी जाना जाएगा। उन्होंने कहा कि वर्ष के दौरान एकता और एकजुटता व्यक्त करने के लिए लोगों ने अनेक कार्यक्रम आयोजित किए। इस कड़ी में उन्होंने ‘हर घर तिरंगा अभियान’ पर विशेष जोर दिया।
चीन, जापान, दक्षिण कोरिया सहित विश्व के कई देशों में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में वृद्धि का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने देशवासियों से सतर्क रहने की भी अपील की।
उन्होंने कहा, ‘‘इस समय बहुत से लोग छुट्टियों के मूड में भी हैं। आप पर्वों का, इन अवसरों का खूब आनंद लीजिए, लेकिन थोड़ा सतर्क भी रहिए। आप भी देख रहे हैं कि दुनिया के कई देशों में कोरोना बढ़ रहा है। इसलिए हमें मास्क और हाथ धोने जैसी सावधानियों का और ज्यादा ध्यान रखना है।’’
मोदी ने कहा, ‘‘हम सावधान रहेंगे तो सुरक्षित भी रहेंगे और हमारे उल्लास में कोई रुकावट भी नहीं आएगी।’’
कोविड-19 के बढ़ते मामलों के मद्देनजर मोदी ने पिछले दिनों केंद्र सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों और शीर्ष अधिाकारियों के साथ एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक भी की थी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को सचेत करते हुए दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं।
उल्लेखनीय है कि भारत में पिछले 24 घंटे में कोविड-19 के 227 नए मामले आए, जबकि उपचाराधीन मरीजों की संख्या बढ़कर 3,424 हो गई। पिछले 24 घंटे में महाराष्ट्र में कोराना वायरस संक्रमण से एक व्यक्ति की जान गई है।
भारत को जी-20 की अध्यक्षता मिलने का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘साल 2023 में हमें जी-20 के उत्साह को नयी ऊंचाई पर ले जाना है। हमें इस आयोजन को एक जन-आंदोलन बनाना है।’’
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के दौरान कालाजार बीमारी का विशेष उल्लेख किया और कहा कि यह अब समाप्त होने के कगार पर है।
उन्होंने कहा कि कुछ समय पहले तक कालाजार का प्रकोप चार राज्यों के 50 से अधिक जिलों में फैला हुआ था लेकिन अब यह बिहार और झारखंड के चार जिलों तक ही सिमटकर रह गया है।
मोदी ने विश्वास जताया कि बिहार और झारखंड के लोग इन चार जिलों से भी कालाजार को समाप्त करने में सरकार के प्रयासों में मदद करेंगे।
प्रधानमंत्री ने योग और आयुर्वेद के क्षेत्र में साक्ष्य आधारित अनुसंधान को एक चुनौती करार दिया और इस बात पर खुशी जाहिर की कि योग और आयुर्वेद आधुनिक युग की जांच और कसौटियों पर खरे उतर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि टाटा मेमोरियल सेंटर द्वारा किए गए गहन अनुसंधान से पता चला है कि स्तन कैंसर के मरीजों के लिए योग बहुत असरकारी है।
मोदी ने कहा, ‘‘इस केन्द्र के अनुंसधान के मुताबिक योग के नियमित अभ्यास से स्तन कैंसर के मरीजों की बीमारी के फिर से उभरने और मृत्यु के खतरे में 15 प्रतिशत तक की कमी आई है। इन नतीजों ने विश्व के महानतम विशेषज्ञों का ध्यान आकृष्ट किया है। यह पहला अध्ययन है जिसमें स्तन कैंसर से पीडि़त महिलाओं में योग से जीवन की गुणवत्ता के बेहतर होने का पता चला है।’’
उन्होंने कहा कि इसके दीर्घावधि लाभ भी सामने आए हैं और टाटा मेमोरियल सेंटर ने अपने अध्ययन के नतीजों को पेरिस में ‘यूरोपियन सोसाइटी ऑफ मेडिकल आन्कोलॉजी’ के सम्मेलन में भी प्रस्तुत किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भी ऐसे ही प्रयास किए गए हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘एम्स में हमारी पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को प्रमाणित करने के लिए छह साल पहले सेंटर फॉर इंटिग्रेटिव मेडिसिन एण्ड रिसर्च की स्थापना की गई थी। इसमें अत्याधुनिक तकनीकों और अनुसंधान पद्धतियों का उपयोग किया जाता है। ये केन्द्र अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में 20 अनुसंधान आलेख प्रकाशित कर चुका है।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में स्वास्थ्य क्षेत्र की बड़ी चुनौतियों पर विजय मिली है। उन्होंने इसका पूरा श्रेय चिकित्सा विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों और देशवासियों की इच्छा शक्ति को दिया।
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