जैसलमेर, 14 जून उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) जवानों की बहादुरी की सराहना करते हुए शुक्रवार को कहा कि जवान सीमा पर कठिन परिस्थितियों के बावजूद भी बिना थके अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं।
धनखड़ ने एक समारोह में बीएसएफ जवानों को संबोधित करते हुए जवानों के गर्मी के मौसम के दौरान भारत-पाकिस्तान सीमा पर भीषण गर्मी सहने की कठिन चुनौती पर टिप्पणी की।
धनखड़ ने कठिन परिस्थितियों में ड्यूटी कर रहे बीएसएफ के जवानों प्रशंसा करते हुए कहा कि ऐसी तपती धूप में कुछ मिनट भी खड़ा रहना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि चारों तरफ का वातावरण चुनौतीपूर्ण है और सीमा पर आपको एक पलक झपकाने की भी फुर्सत नहीं है।
एक बयान के अनुसार धनखड़ ने कहा कि हिमालय की ऊंची पहाड़ियाँ, थार का तपता हुआ रेगिस्तान, पूर्वोत्तर के घने जंगल, दल-दल से भरे रण-क्रीक में सीमा सुरक्षा बल के जवानों की जो मुस्तैदी है, वह बेमिसाल है।
रक्षा क्षेत्र में भारत की बढ़ती आत्मनिर्भरता का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘एक जमाना था जब कील तक बाहर से आती थी लेकिन अब हम रक्षा उपकरणों का निर्यात कर रहे हैं। विमानवाहक पोत विक्रांत देश में बना, ‘फ्रिगेट’ देश में बने, तेजस बना, मिसाइलें बनी और यह मुमकिन इसलिए हुआ क्योंकि सीमाओं पर अमन-चैन आप कायम करते हो।’’
उन्होंने सीमा सुरक्षा बल के जवानों से कहा, ‘‘आप शांति के दूत हैं, आपकी वजह से भारत दुनिया में शांति का दूत है और यह गर्व का विषय है सीमा सुरक्षा बल विश्व का सबसे बड़ा सीमा रक्षक बल है। मैं यहां से ऊर्जावान होकर जा रहा हूं, एक नयी प्रेरणा लेकर जा रहा हूं।’’
रक्षा बलों में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘भारत की बदलती हुई तस्वीर कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस पर हमने देखी जहां हमारी बेटियों ने कौशल का प्रदर्शन किया। यहां उनकी भागीदारी देखकर मुझे बड़ी प्रसन्नता हुई।’’
इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने शहीदों के परिवारों को श्रद्धांजलि भी अर्पित की।
समारोह में बीएसएफ के महानिदेशक नितिन अग्रवाल, बीएसएफ पश्चिमी कमान के एसडीजी वाई बी खुरानिया, बीएसएफ के उप महानिरीक्षक विक्रम कुंवर और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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