नयी दिल्ली, 18 अक्टूबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने दूसरे देशों के नागरिकों द्वारा बच्चे को गोद लेने के संबंध में केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (कारा) से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) हासिल करने में भावी माता-पिता के सामने आने वाली बाधाओं पर ‘‘गंभीर दृष्टिकोण’’ अपनाते हुए कहा कि प्रक्रिया को जटिल नहीं बनाया जाना चाहिए।
उच्च न्यायालय ने कहा कि गोद लेने के नियमों के अनुसार, कारा को हेग दत्तक संधि द्वारा अनुमोदित देशों के लोगों को एनओसी जारी करना अनिवार्य है और केवल समर्थन पत्र जारी करना पूरी तरह से समझ से बाहर है, खासकर तब, जब पक्षों द्वारा दस्तावेज पूरे कर लिये गये हों।
इस मामले में अदालत की सहायता कर रहे वकील ने उच्च न्यायालय को सूचित किया है कि दूसरे देशों के नागरिकों द्वारा बच्चे को गोद लेने के दौरान गृह अध्ययन रिपोर्ट (एचएसआर) प्राप्त करने के लिए भारी राशि खर्च करनी पड़ रही है।
इस पर अदालत ने अधिकारियों से इस मुद्दे पर गौर करने को कहा।
अदालत ने विदेश मंत्रालय के संबंधित निदेशक या संयुक्त सचिव को 28 नवंबर को मामले की अगली सुनवाई के दौरान अदालत में उपस्थित रहने को भी कहा।
उच्च न्यायालय दूसरे देशों के नागरिकों द्वारा गोद लेने के इच्छुक लोगों की समस्याओं के बारे में याचिकाओं पर विचार कर रहा था।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह ने कहा, ‘‘अदालत ने इन मामलों में पाया है कि याचिकाकर्ताओं और बच्चा गोद लेने के इच्छुक दूसरे देशों के अन्य आवेदकों को कारा के माध्यम से अपने गोद लेने की प्रक्रिया को पूरा करने में लगातार किसी न किसी बाधा का सामना करना पड़ रहा है। अदालत इस मामले पर बहुत गंभीर नजरिया रखती है क्योंकि गोद लेने की इच्छा रखने वाले व्यक्तियों के लिए एनओसी जारी करने की प्रक्रिया इतनी जटिल नहीं बनायी जा सकती है।’’
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