पटना, 26 नवंबर बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने रविवार को केंद्र में सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर नफरत की राजनीति करने और समाज में जहर घोलने तथा इतिहास को पूरी तरह बदलने की कोशिश करने का आरोप लगाया।
पटना में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के मुख्यालय में ‘संविधान दिवस’ के अवसर पर ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ एवं ‘साइमन कमीशन वापस जाओ’ का नारा देने वाले क्रांतिकारी नेता युसूफ मेहर अली के सम्मान में आयोजित एक परिचर्चा के दौरान यादव ने आरोप लगाया, ‘‘आज देश में नफरत की राजनीति की जा रही है। समाज में जहर घोलने का काम किया जा रहा है ।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे में लोगों को हकीकत के बारे में पता होना चाहिए कि आजादी की लड़ाई के दौरान युसूफ खान अली साहब और उनके समुदाय से आने वाले अन्य लोगों की भी कितनी बड़ी भूमिका रही थी।’’
यादव ने कहा, ‘‘आजकल, हालांकि, कोई इसके बारे में बात नहीं करता है। इस समुदाय के लोगों को निशाना बनाया जा रहा है। देश की आजादी में उनके योगदान को छुपाया जा रहा है और केंद्र की मौजूदा सरकार इतिहास को पूरी तरह बदलने पर तुली है।’’
राजद नेता ने कहा, "हम लोगों का मानना है कि सब के साथ न्याय हो और सबका विकास हो।"
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में राज्य में बनी महागठबंधन सरकार चाहती है कि विकास और सरकारी योजनाओं का लाभ कमजोर तबको और समाज के अंतिम पायदान तक पहुंचे ।
यादव ने कहा, "आज भी मेरा मानना है कि देश का अगर सबसे बड़ा कोई दुश्मन है तो वह बेरोजगारी और गरीबी है और उसी को ध्यान में रखते हुए हमारी महागठबंधन की सरकार काम कर रही है ।”
उपमुख्यमंत्री ने राज्य सरकार की ओर से कराई गई जाति जनगणना का जिक्र करते हुए कहा, “हम लोगों ने जाति सर्वेक्षण गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों को आर्थिक न्याय दिलाने और समाज के मुख्य धारा में लाने के उद्देश्य से किया है ।”
उन्होंने कहा, "हमारी सरकार सामाजिक के साथ-साथ आर्थिक न्याय दिलाने में विश्वास रखती है। आबादी बढी है तो सभी को उसके अनुसार उसका हक मिलना चाहिए इसलिए हमारी सरकार ने नौकरी और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण की सीमा को 50 से बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दी है। सवर्ण गरीब लोगों के लिए पहले ही से 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है । ऐसे में बिहार पहला राज्य बन गया है जहां आरक्षण की सीमा 75 प्रतिशत कर दी गई है।”
उन्होंने कहा कि बिहार सरकार द्वारा लिए गए इस निर्णय में कोई कानूनी अड़चन न आए इसलिए राज्य मंत्रिमंडल ने इसे संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल किए जाने के लिए एक प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजे जाने को भी मंजूरी दे दी है ।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में जाति सर्वेक्षण होने के बाद देश में ऐसा माहौल बना है कि अब कांग्रेस सहित कई क्षेत्रीय दलों ने भी इसके पक्ष में घोषणाएं की हैं।
जाति सर्वेक्षण में गड़बड़ी किए जाने के भाजपा के आरोप के बारे में उन्होंने कहा, “अगर उन्हें लगता है कि हम लोगों ने इसमें गड़बड़ी की है तो केंद्र सरकार राष्ट्रीय स्तर पर जाति जनगणना करा लें।”
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