श्रीनगर, 22 अक्टूबर जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बृहस्पतिवार को कहा कि वर्तमान पीढ़ी को छद्म युद्धों और पाकिस्तान के नापाक मंसूबों के बारे में शिक्षित किये जाने की जरूरत है।
उन्होंने पाकिस्तानी सेना और उसके आक्रमणकारियों द्वारा 1947 में आज ही के दिन की गई लूटपाट और नरसंहार पर पूर्व मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्ला की टिप्पणी का हवाला दिया।
जम्मू कश्मीर में 22 अक्टूबर को घाटी में हिंसा और आतंक फैलाने में पाकिस्तान की भूमिका के विरोध में ‘काला दिवस’ के रूप में मनाये जाने के लिए पहली बार आयोजित एक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए सिन्हा ने नेशनल कांफ्रेंस के एक कार्यकर्ता मकबूल शेरवानी का भी जिक्र किया जिन्होंने बारामूला से पाकिस्तान-सेना समर्थित आदिवासियों के मार्च में चार दिनों की देरी की, ताकि भारतीय सेना वहां तक पहुंच सके।
उन्होंने कहा, ‘‘जब यह बर्बरता चल रही थी, हमारे कश्मीरी भाई मकबूल शेरवानी ने अपनी आवाज उठाई, लेकिन उस पर गोली चलाई गई। बारामूला के नायक, मकबूल शेरवानी की शहादत, पाकिस्तान के युद्ध के वर्षों के दुष्प्रचार का भंडाफोड़ करती है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘उस समय के कश्मीर के लोगों ने ‘हमलवार खबरदार, हम कश्मीरी हैं तैयार’ के नारे लगाए। उनके पास कोई बंदूक नहीं थी, लेकिन उन्होंने पाकिस्तानी सेना को धमकाने के लिए बंदूकों की आड़ में लाठियों का इस्तेमाल किया।’’
सिन्हा ने लोगों से अपने प्राणों को न्योछावर करने वाले सैनिकों और नागरिकों के बलिदान को नहीं भूलने की अपील की।
वर्ष 1947 में आजादी के बाद से ऐसा पहली बार है जब 22 अक्टूबर के दिन के मौके पर एक आधिकारिक कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है।
उपराज्यपाल ने कहा, ‘‘हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि 22 अक्टूबर को कश्मीर और कश्मीरियत पर लगाए गए घावों के पीछे पाकिस्तानी प्रतिष्ठान पूरी तरह से शामिल थे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जम्मू-कश्मीर की नई पीढ़ी के युवाओं को शायद पता नहीं होगा कि कैसे पाकिस्तानी शासकों और उनकी सेना ने हमारे निर्दोष भाइयों को बेरहमी से मार डाला, हमारे घरों को जला दिया, ऑपरेशन गुलमर्ग के तहत हमारी बहनों और बेटियों के साथ बलात्कार किया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम अपनी नई और पुरानी पीढ़ी को याद दिलाना चाहते हैं कि कैसे सर्व धर्म समभाव (सांप्रदायिक सद्भाव), असीमित प्रेम और सूफीवाद की यह धरती पाकिस्तानी सेना के नेताओं, मोहम्मद अली जिन्ना और उनकी सेना द्वारा 22 अक्टूबर के काला दिवस पर निर्दोष लोगों के खून से रंगी थी और जिसने सदियों पुराने भाईचारे को दुश्मनी में बदल दिया।’’
उन्होंने कहा कि अत्याचार ‘‘पाकिस्तान की एक वास्तविकता’’है। उन्होंने कहा, ‘‘ लेकिन आज, कुछ लोग कई प्रकार की बातें कहते हैं। मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि उन्हें यह याद रखना चाहिए कि शेख अब्दुल्ला ने 1948 में क्या कहा था। उन्होंने कहा था कि पाकिस्तानी हमलावरों ने हमारी धरती पर हजारों बेगुनाहों को मार दिया था, सभी धर्मों की लड़कियों का अपहरण कर लिया और संपत्तियों को नष्ट कर दिया। इसलिए वर्षों से फैलाये जा रहे झूठ को खत्म करने की जरूरत है।’’
उपराज्यपाल ने कहा कि विश्व ने पाकिस्तान के इस झूठ और दुष्प्रचार के पीछे की वास्तविकता को समझा है कि हमलावर सिर्फ पख्तून कबायली थे।
उन्होंने कहा कि हालांकि 22 अक्टूबर एक काला दिवस है लेकिन यह इतिहास का एक ऐसा क्षण भी है जिसके बारे में नयी पीढ़ी को जागरूक करना होगा।
सिन्हा ने पाकिस्तान का स्पष्ट संदर्भ देते हुए कहा, ‘‘आतंकवाद मानवता का सबसे बड़ा दुश्मन है। आप सभी जानते हैं कि 1947 से आतंक का पोषक कौन है। यदि आप दुनिया की किसी भी खुफिया या सुरक्षा एजेंसी की रिपोर्ट देखते हैं, तो आपको स्पष्ट शब्दों में जवाब मिल जायेगा।’’
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