देश की खबरें | स्वामी दयानंद सरस्वती के विचारों से अधिकाधिक जुड़े नई पीढ़ी: राज्यपाल मिश्र

जयपुर, 15 मार्च राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने युवाओं से महर्षि दयानंद सरस्वती द्वारा भारतीय संस्कृति और राष्ट्रोत्थान के लिए किए गए कार्यों से प्रेरणा लेने का आह्वान किया है।

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को चाहिए कि वे नई पीढ़ी को स्वामी दयानंद सरस्वती के विचार-अवदान से संस्कारित करते हुए समाजोत्थान में उनकी सहभागिता सुनिश्चित करें।

मिश्र शुक्रवार को राजस्थान विश्वविद्यालय के मानविकी सभागार में ‘‘राष्ट्र-अभ्युदय एवं भारतीय ज्ञान परम्परा के संवाहक महर्षि दयानन्द सरस्वती’’ विषयक संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने स्वामी द्वारा "वेदों की ओर लौटें" नारे के आलोक में उनके विचारों को आगे बढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि वेदोद्धारक के रूप में अंधविश्वास, सामाजिक रूढियों और कुरुतियों के निवारण में स्वामीजी ने जो भूमिका निभाई, उसे जन-जन तक पहुंचाने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि स्वामी दयानंद क्रांतिकारी समाज सुधारक और विचारक थे।

राज्यपाल ने कहा कि राजस्थान स्वामी दयानंद की कर्मभूमि रहा है, यहीं उन्होंने "सत्यार्थ प्रकाश" की रचना की और यहीं उन्होंने अजमेर में परोपकारिणी सभा का गठन किया। मिश्र ने कहा कि सामाजिक कुरीतियां के निवारण के साथ महिला शिक्षा के लिए भी उन्होंने क्रांतिकारी कदम उठाए।

मुख्यवक्ता के रूप में सारस्वत अतिथि गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सोमदेव शतांशु ने महर्षि दयानंद सरस्वती के वैदिक चिंतन, उनके सामाजिक सुधारों और कार्यों की चर्चा करते हुए कहा कि वह ऐसे ऋषि थे जिन्होंने भारत की ज्ञान परंपरा को व्यावहारिक रूप में जन-जन के लिए व्याख्यायित किया।

उन्होंने स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा शिक्षा सुधार, हिंदी को बढ़ावा देने और स्वराज के लिए किए उनके कार्यों से प्रेरणा लेने का आह्वान किया। वहीं राजस्थान विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. अल्पना कटेजा ने स्वामीजी के विचारों को युगानुकुल बताया।

पृथ्वी

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