कन्याकुमारी, आठ सितंबर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा कन्याकुमारी से निकाली गई ''भारत जोड़ो '' यात्रा पार्टी के लिए उसकी उम्मीद के मुताबिक ‘‘संजीवनी’’ साबित होगी या नहीं, यह भविष्य के अधर में है, लेकिन अतीत में कई राजनीतिक यात्राओं ने पार्टियों और नेताओं की किस्मत बदल दी।
चाहे 32 साल पहले निकाली गई लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा रही हो, या फिर कुछ साल पहले जगनमोहन रेड्डी की पदयात्रा हो, इन यात्राओं का जनमानस पर व्यापक असर हुआ, हालांकि कुछ ऐसी यात्राएं भी रहीं जिनका कोई खास राजनीतिक असर नहीं हुआ।
राहुल गांधी और 118 अन्य कांग्रेस नेताओं ने कन्याकुमारी से ‘‘भारत जोड़ो यात्रा’’ आरंभ की है और जो 3570 किलोमीटर का सफर तय कर कश्मीर पहुंचेगी। पार्टी महासचिव जयराम रमेश का कहना है कि 'भारत जोड़ो' यात्रा भारतीय राजनीति के लिए परिवर्तनकारी क्षण है और कांग्रेस के लिए ‘‘संजीवनी’’ है।
राहुल गांधी इतनी लंबी पदयात्रा पर पहली बार निकले हैं, हालांकि उन्होंने अतीत में भट्टा परसौल में किसानों के लिए पैदल मार्च किया था और कुछ अन्य छोटी यात्राएं भी की थीं।
अब तक की कुछ राजनीतिक महत्वपूर्ण यात्राएं और उनका असर:
वर्ष 1983: स्वतंत्र भारत में राजनीतिक रूप से एक चर्चित पदयात्रा पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर द्वारा निकाली गई थी। वह कन्याकुमारी से पदयात्रा शुरू कर दिल्ली के राजघाट पहुंचे थे।
यह यात्रा उन्होंने देश के आम लोगों से जुड़ने के मकसद के साथ निकाली थी। इस यात्रा के बाद उन्हें 'मैराथन पुरुष' की संज्ञा दी गई। जानकारों का मानना है कि इस यात्रा के बाद 1984 के लोकसभा चुनाव में कुछ खास असर नहीं हुआ और इसकी बड़ी वजह इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश में कांग्रेस के पक्ष में लहर बन जाना था। हालांकि इस यात्रा के बाद चंद्रशेखर के राजनीतिक कद में इजाफा हुआ और कुछ साल बाद वह देश के प्रधानमंत्री बने।
वर्ष 1985: तत्कालीन प्रधानमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष राजीव गांधी ने मुंबई में पार्टी के अधिवेशन से 'कांग्रेस संदेश यात्रा ' शुरुआत की थी और बाद में कांग्रेस सेवा दल इसे पूरे देश में लेकर गया ।
वर्ष 1990: राजनीतिक यात्राओं के इतिहास में सबसे चर्चित यात्राओं में से एक आडवाणी की रथयात्रा थी जिसका व्यापक राजनीतिक और सामाजिक असर हुआ। इस यात्रा के कुछ वर्षों बाद भाजपा पहली बार केंद्र की सत्ता में आसीन हुई। यही नहीं, वह उत्तर प्रदेश, राजस्थान और कई अन्य प्रदेशों में सरकार बनाने में सफल रही। सही मायने में भाजपा को अखिल भारतीय स्तर के दल के रूप में स्थापित करने में इस यात्रा की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
वर्ष 2003: कांग्रेस नेता वाई एस राजशेखर रेड्डी ने अप्रैल, 2003 में आंध्र प्रदेश में 1400 किलोमीटर की यात्रा निकाली थी। इस यात्रा का व्यापक असर हुआ और राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी।
वर्ष 2004: आडवाणी ने 'भारत उदय यात्रा ' निकाली जिसमे छह साल के वाजपेयी सरकार के शासनकाल की उपलब्धियों का बखान किया गया, हालांकि उसका कोई व्यापक असर नहीं हुआ और उस साल के लोकसभा चुनाव में भाजपा नीत राजग की हार हो गई।
वर्ष 2017: आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के जगनमोहन रेड्डी ने अपने पिता की तरह ही राज्यव्यापी पदयात्रा निकाली और इसके बाद 2019 के विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी की शानदार विजय हुई।
वर्ष 2017: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह की नर्मदा यात्रा एक धार्मिक और आध्यात्मिक यात्रा थी, हालांकि अपनी 3300 किलोमीटर लंबी पदयात्रा के दौरान उन्होंने मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से 100 से अधिक सीटों का दौरा किया। इस दौरान सिंह जनता से भी मिले और उनकी समस्याएं भी सुनी। इस यात्रा के बाद 2018 के आखिर में हुए मप्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 15 साल बाद जीत मिली।
वर्ष 2021: भाजपा ने 'जन आशीर्वाद यात्रा ' निकाली। इसमें 39 केंद्रीय मंत्रियों ने हिस्सा लिया और उन्होंने 22 राज्यों के 212 लोकसभा क्षेत्रों का दौरा किया और केंद्र सरकार की नीतियों के बारे में लोगों को बताया।
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