बेंगलुरु, छह फरवरी सभी की निगाहें अब कर्नाटक उच्च न्यायालय पर टिकी हैं जो मंगलवार को ‘हिजाब’ विवाद पर याचिका पर सुनवाई करेगा, क्योंकि राज्य भर में यह विवादास्पद मुद्दा थमने का नाम नहीं ले रहा है।
मुस्लिम लड़कियों का एक वर्ग कॉलेज में हिजाब पहनने पर अड़ा हुआ है, जबकि राज्य सरकार ने शैक्षणिक संस्थानों में कक्षाओं में भाग लेने वाले छात्रों के लिए ‘यूनिफॉर्म’ को अनिवार्य बनाने का निर्देश दिया है। राज्य में ऐसी कई घटनाएं हुई हैं, जहां मुस्लिम छात्राओं को हिजाब में कॉलेजों या महाविद्यालयों में कक्षाओं में जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है, जबकि हिजाब के जवाब में हिंदू छात्र भगवा शॉल लेकर शैक्षणिक संस्थान आ रहे हैं।
इस बीच, हिजाब विवाद ने राजनीतिक रंग ले लिया है। राज्य में सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कहा कि वह शैक्षणिक संस्थानों द्वारा लागू ‘यूनिफॉर्म’ से संबंधित नियम के समर्थन में दृढ़ता से खड़ी है। वहीं, विपक्षी पार्टी कांग्रेस मुस्लिम लड़कियों के समर्थन में सामने आ गई है।
यह मुद्दा जनवरी में उडुपी के एक सरकारी महाविद्यालय में शुरू हुआ, जहां छह छात्राएं निर्धारित ड्रेस कोड का उल्लंघन कर हिजाब पहनकर कक्षाओं में आईं। बाद में शहर के कुछ अन्य कॉलेजों और पास के कुंडापुर और बिंदूर में भी ऐसी घटनाएं सामने आईं।
बेलगावी के रामदुर्ग महाविद्यालय और हासन, चिक्कमंगलुरु और शिवमोगा में शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब या भगवा शॉल के साथ छात्र-छात्राओं के आने की घटनाएं और बन्नीमंतपा (मैसूर) में हिजाब के पक्ष में लड़कियों के एक समूह के प्रदर्शन करने की खबरें सामने आई हैं।
कुंडापुर में हिजाब पहनने के कारण कक्षा में प्रवेश न पा सकी मुस्लिम छात्रा ने कहा, ‘‘हम यहां कोई विरोध या आंदोलन करने के लिए नहीं हैं, हम केवल अपने अधिकार की मांग कर रहे हैं। हिजाब हमारा अधिकार है। हम केवल यह चाहते हैं कि हमें हिजाब पहनकर कक्षाओं में जाने की अनुमति दी जाए, जैसे हम पहले उपस्थित होते थे। अगर हमें अचानक अपना हिजाब हटाने के लिए कहा जाता है, तो हम इसे कैसे हटा सकते हैं?’’
कर्नाटक उच्च न्यायालय आठ फरवरी को उडुपी के एक सरकारी महाविद्यालय में पढ़ने वाली पांच लड़कियों द्वारा संस्थान में हिजाब पर प्रतिबंध के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई करेगा।
कर्नाटक में शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर विवाद के बढ़ने के बीच राज्य सरकार ने शनिवार को ऐसे कपड़े पहनने पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया जो स्कूलों और कॉलेजों में समानता, अखंडता और लोक व्यवस्था को बिगाड़ते हैं।
आदेश में कहा गया है कि छात्रों के लाभ के लिए राज्य के सभी स्कूलों और कॉलेजों के लिए एक साझा कार्यक्रम तैयार किया गया है। इसमें कहा गया है, ‘‘हालांकि, शिक्षा विभाग ने देखा है कि कुछ शैक्षणिक संस्थानों में लड़के और लड़कियों ने अपने धर्म के अनुसार व्यवहार करना शुरू कर दिया है, जिससे समानता और एकता प्रभावित होती है।’’ आदेश में पोशाक के पक्ष में भारत के सर्वोच्च न्यायालय और विभिन्न उच्च न्यायालयों के फैसलों का भी हवाला दिया गया।
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