देश की खबरें | उच्च न्यायालय ने विधान पार्षदों की सूची वापस लेने के फैसले के खिलाफ दाखिल याचिका खारिज की

मुंबई, नौ जनवरी बम्बई उच्च न्यायालय ने शिवसेना-उद्धव बालासाहेब ठाकरे (उबाठा) के एक पदाधिकारी द्वारा 2020 में तत्कालीन एमवीए (महाविकास आघाडी) सरकार द्वारा महाराष्ट्र के राज्यपाल को 12 विधान पार्षदों (एमएलसी) को नामित किये जाने लेकर भेजी गई सूची को वापस लिए जाने के खिलाफ दाखिल याचिका को बृहस्पतिवार को खारिज कर दिया।

मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की खंडपीठ ने कहा कि शिवसेना (उबाठा) के पदाधिकारी और पूर्व पार्षद सुनील मोदी द्वारा दायर याचिका गलत धारणा पर आधारित है इसलिए इसे खारिज किया जाना चाहिए।

उच्च न्यायालय ने अक्टूबर 2024 में मोदी की जनहित याचिका पर सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था।

मोदी ने पूर्ववर्ती एकनाथ शिंदे नीत महायुति सरकार के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें राज्य विधान परिषद में 12 मनोनीत सीट के लिए पिछली उद्धव ठाकरे नीत एमवीए सरकार द्वारा की गई सिफारिशों को वापस लेने का फैसला किया गया था।

वर्ष 2022 में एमवीए सरकार गिरने और एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री बनने के बाद नये मंत्रिमंडल ने राज्यपाल को लिखा कि वे पिछली सरकार द्वारा प्रस्तुत 12 नामों की लंबित सूची वापस ले रहे हैं।

राज्यपाल ने पांच सितंबर 2022 को इसे स्वीकार कर लिया और सूची मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) को वापस कर दी गई।

अक्टूबर 2024 में राज्यपाल कोटे के तहत 12 रिक्त पदों के लिए विधान परिषद के सात सदस्यों (एमएलसी) की नियुक्ति की गई।

सात सीट में से सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को तीन और उसके सहयोगी दलों शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) को दो-दो सीट मिलीं।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)