Mallikarjun Kharge on PM Modi: सबके सिर पर छत की ‘गारंटी’ खोखली निकली, अब तीन करोड़ घरों का ढिंढोरा पीटा जा रहा है: मल्लिकार्जुन खरगे
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मंगलवार को आरोप लगाया कि 2022 तक सबसे सिर पर छत की ‘मोदी की गारंटी’ खोखली साबित होने के बाद अब तीन करोड़ आवास का ढिंढोरा पीटा जा रहा है.
नयी दिल्ली, 11 जून : कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मंगलवार को आरोप लगाया कि 2022 तक सबसे सिर पर छत की ‘मोदी की गारंटी’ खोखली साबित होने के बाद अब तीन करोड़ आवास का ढिंढोरा पीटा जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में सोमवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की पहली बैठक में प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) के तहत तीन करोड़ घरों के निर्माण के लिए सरकारी सहायता को मंजूरी दी गई. खरगे ने कटाक्ष करते हुए ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘लोकसभा चुनाव में देश ने ऐसा जवाब दिया कि मोदी सरकार को दूसरों के घरों से कुर्सियां उधार लेकर अपना सत्ता का ‘‘घर’’ संभालना पड़ रहा है. 17 जुलाई 2020 को प्रधानमंत्री जी ने देश को ‘‘मोदी की गारंटी’’ दी थी कि 2022 तक हर भारतीय के सिर पर छत होगी. ये ‘‘गारंटी’’ तो खोखली निकली.’’
उन्होंने कहा, ‘‘अब तीन करोड़ प्रधानमंत्री आवास देने का ढिंढोरा ऐसे पीट रहे हैं, जैसे पिछली गारंटी पूरी कर ली हो. देश असलियत जानता है कि इस बार इन तीन करोड़ घरों के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की है क्योंकि भाजपा ने पिछले 10 वर्षों में कांग्रेस-संप्रग के मुक़ाबले पूरे 1.2 करोड़ घर कम बनवाए.’’ खरगे ने दावा किया कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के कार्यकाल में 2004-13 के बीच 4.5 करोड़ घर बनवाए गए, जबकि पिछले 10 वर्षों में केवल 3.3 करोड़ घरों का निर्माण हुआ. उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘मोदी जी की आवास योजना में 49 लाख शहरी आवास यानी 60 प्रतिशत घरों का अधिकतर पैसा जनता ने अपनी जेब से भरा.’’ यह भी पढ़ें : चंद्रबाबू नायडू आंध्र प्रदेश में राजग के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार चुने गए
उनके मुताबिक, ‘‘एक सरकारी सामान्य शहरी घर औसतन 6.5 लाख रुपये का बनता है, उसमें केंद्र सरकार केवल 1.5 लाख रू देती है. इसमें 40 प्रतिशत योगदान राज्यों और नगरपालिका का भी होता है. बाक़ी के बोझ का ठीकरा जनता के सिर पर फूटता है. वो भी क़रीब 60 प्रतिशत का बोझ. ऐसा संसदीय समिति ने कहा है.’’ खरगे का कहना था, ‘‘समाचार पत्रों से पता चला है कि मोदी जी ने वाराणसी में जो ‘‘सांसद आदर्श ग्राम योजना’’ के तहत आठ गांवों को विकसित करने के लिए गोद लिया था वहां ग़रीबों के पास, ख़ासकर दलित व पिछड़े समाज को अब तक पक्के घर नहीं मिले. अगर कुछ घर हैं तो भी उनमें पानी नहीं पहुंचा, नल तक नहीं है.’’
उन्होंने दावा किया, ‘‘मोदी जी द्वारा गोद लिया गया पहला गांव जयापुर है. वहां कई दलितों के पास घर और चालू शौचालय नहीं हैं. नागेपुर गांव में भी स्थिति ऐसी ही है और इसके अलावा, सड़कें भी खराब स्थिति में हैं. परमपुर में पूरे गांव में नल लगे हैं लेकिन उन नलों में पानी नहीं है. पूरे गांव में पिछले दो महीनों से पानी की आपूर्ति नहीं थी. वहां कई दलित और यादव समाज के लोग कच्चे घरों में रहते हैं.’’ उन्होंने तंज कसते हुए कहा, ‘‘मोदी जी, मीडिया प्रबंधन से बाहर निकलिए. जनता सब जानती है.’’