तिरुवनंतपुरम, आठ नवंबर केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने शुक्रवार को राज्य के अधिकांश विश्वविद्यालयों में नियमित कुलपतियों की अनुपस्थिति के लिए सत्तारूढ़ वाम सरकार को जिम्मेदार ठहराया।
राज्यपाल ने कहा कि पिछले 75 वर्षों में यह राज्य में विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति ही रहे हैं जिन्होंने कुलपतियों का चुनाव करने के लिए चयन समितियों का गठन किया है।
केरल के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के तौर पर खान ने कहा कि हालांकि, हर मामले में जहां उन्होंने एक चयन समिति का गठन किया, राज्य सरकार ने इसे केरल उच्च न्यायालय में चुनौती दी, जिसने बाद में कार्यवाही पर रोक लगा दी।
खान ने पूछा, ‘‘तो अब मैं क्या कर सकता हूं?’’
उन्होंने बताया कि जब उन्होंने पाया कि सरकार ने अपने अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन किया है, तो उन्होंने विधेयकों को राष्ट्रपति के पास भेजने के लिए अपने संवैधानिक अधिकार का इस्तेमाल किया।
खान ने जोर देकर कहा, "सरकार व्यक्तियों या यहां तक कि निर्वाचित प्रतिनिधियों की इच्छा के अनुसार नहीं चलेगी। यह संविधान के प्रावधानों के अनुसार चलेगी।’’
उन्होंने कहा कि, एक विश्वविद्यालय को छोड़कर जहां उन्होंने कुलपति की दोबारा नियुक्ति की है, राज्य के अन्य सभी विश्वविद्यालयों में नियमित कुलपति का अभाव है।
कोडकारा काला धन मामले पर पत्रकारों के सवालों पर खान ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय इसकी जांच कर रहा है।
उन्होंने कहा, "एजेंसियों को बिना किसी हस्तक्षेप के अपना काम करने दें। मैं कौन होता हूं उनकी या किसी और की जांच पर फैसला सुनाने वाला? कानून अपना काम करेगा।"
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