नयी दिल्ली, छह जुलाई संसद के मानसून सत्र से पहले 19 जुलाई को सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई है, जिसमें सत्र को सुचारू रूप से चलाने के लिए सभी दलों से चर्चा की जायेगी। सूत्रों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
संसद के मानसून सत्र की शुरुआत 20 जुलाई को होगी। 23 दिनों का यह सत्र 11 अगस्त तक चलेगा। इस दौरान संसद के दोनों सदनों की कुल 17 बैठकें प्रस्तावित हैं।
संसद के मानसून सत्र की जानकारी देते हुए संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने पिछले शनिवार को सभी दलों से विधायी एवं अन्य कामकाज में रचनात्मक सहयोग देने की अपील की थी। उन्होंने कहा था, ‘‘ मैं सभी पार्टियों से सत्र के दौरान संसद के विधायी और अन्य कामकाज में रचनात्मक योगदान देने की अपील करता हूं।’’
संसद का मानसूत्र सत्र हंगामेदार रहने की संभावना है। मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने बुधवार को कहा था कि वह संसद के आगामी मानसून सत्र में मणिपुर हिंसा के मामले पर सरकार से स्पष्ट जवाब और जवाबदेही की मांग की करेगी। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई कहा था, ‘‘संसद का मानसून सत्र आ रहा है। हम सरकार से स्पष्ट जवाब चाहेंगे। प्रधानमंत्री सर्वदलीय बैठक बुलाएं। वह अपनी जिम्मेदारी से नहीं भागें।’’
मानसून सत्र में सरकार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अध्यादेश, 2023 की जगह लेने वाले विधेयक को पेश कर सकती है। आम आदमी पार्टी सहित कई विपक्षी दलों ने इसका विरोध करने करने की बात कही है। इसके अलावा एक महत्वपूर्ण मुद्दा समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का हो सकता है, जिसका कई विपक्षी दल जोरदार विरोध कर रहे हैं। कांग्रेस ने इस मुद्दों को आगामी लोकसभा चुनाव से जोड़ा है।
सत्र के दौरान विपक्षी दल मणिपुर हिंसा से लेकर पूर्वी लद्दाख में चीनी अतिक्रमण, महंगाई आदि का मुद्दे भी उठायेंगे।
आज गृह संबंधी संसद की स्थायी समिति की बैठक में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस के सदस्य मणिपुर हिंसा का मुद्दा उठाने की अनुमति देने से मना करने पर बैठक से वाकआउट कर गए।
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