देश की खबरें | अदालत ने कोविड-19 स्थिति पर दिल्ली सरकार को लगाई फटकार, पूछा- जब मामले बढ़ रहे थे तो ‘क्यों नहीं जागे’
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार से पूछा कि कोविड-19 की वजह से पिछले 18 दिनों में जिन लोगों ने अपने प्रियजनों को खोया है, क्या वह उन्हें इसका जवाब दे पाएगी कि जब शहर में मामले बढ़ रहे थे तो तब प्रशासन ने कदम क्यों नहीं उठाए।
नयी दिल्ली, 19 नवंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार से पूछा कि कोविड-19 की वजह से पिछले 18 दिनों में जिन लोगों ने अपने प्रियजनों को खोया है, क्या वह उन्हें इसका जवाब दे पाएगी कि जब शहर में मामले बढ़ रहे थे तो तब प्रशासन ने कदम क्यों नहीं उठाए।
अदालत ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार स्थिति को ‘‘बड़े चश्मे’’ से देखे।
इसने कहा कि यह देखना दिल दुखाने वाला है कि कोविड-19 से मरनेवालों की दैनिक संख्या बढ़कर 131 तक हो गई और नए मामलों की संख्या बढ़कर 7,486 तक पहुंच गई है।
दिल्ली सरकार की खिंचाई करते हुए न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति सुब्रह्मण्यम प्रसाद की पीठ ने सवाल किया कि वह कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए अदालत के हस्तक्षेप का इंतजार क्यों करती रही, उसने कोविड-19 का प्रसार रोकने के लिए शादी समारोहों में अतिथियों की संख्या 50 तक क्यों सीमित नहीं की?
पीठ ने पूछा, ‘‘आपने (दिल्ली सरकार) एक नवंबर से ही यह देखना शुरू किया कि स्थिति किस ओर जा रही है। लेकिन अब जब हमने आपसे कुछ सवाल किए हैं तो आप पलट गए। जब शहर में संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ रही थी तो स्पष्ट तौर पर कदम उठाए जाने चाहिए थे। आप तब क्यों नहीं जागे, जब आपने देखा कि स्थिति खराब हो रही है? हमें आपको 11 नवंबर को नींद से जगाने की जरूरत क्यों पड़ी? आपने एक नवंबर से 11 नवंबर तक क्या किया? आपने फैसला लेने के लिए 18 दिन तक (18 नवंबर तक) क्यों इंतजार किया? क्या आपको पता है कि इस बीच कितने लोगों की मौत हो गई? जिन लोगों ने अपने प्रियजनों को खोया है, क्या आप उन्हें जवाब दे पाएंगे?
इसने इस बात का भी संज्ञान लिया कि कोविड-19 नियमों के पहली बार उल्लंघन पर 500 रुपये और इसके बाद उल्लंघन पर 1,000 रुपये का जुर्माना लगाए जाने का भी कोई बहुत ज्यादा असर नहीं हो रहा है।
अदालत ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ जिलों की तुलना में कुछ अन्य जिलों में निगरानी और जुर्माना लगाने में काफी असमानताएं हैं।
इसने कहा, ‘‘आप किस तरह की निगरानी कर रहे हैं? आप चीजों को गंभीरता से ‘‘बड़े चश्मे’’ से देखें। आप न्यूयॉर्क और साउ पाउलो जैसे शहरों से भी आगे निकल चुके हैं।’’
पीठ ने यह भी संज्ञान लिया कि दिल्ली में कोविड-19 के बढ़ते मामलों के संबंध में दिल्ली सरकार ने अदालत को जो बताया है, वह उनके मंत्रियों द्वारा मीडिया को दिए गए बयानों के विपरीत है। इसने कहा कि दिल्ली सरकार के मंत्री मीडिया में यह बयान दे रहे हैं कि दिल्ली में कोविड-19 की तीसरी लहर अपने चरम पर पहुंच चुकी है और अब संख्या में कमी आ रही है लेकिन दैनिक आंकड़े और अदालत के समक्ष दायर स्थिति रिपोर्ट में ऐसा नहीं है।
पीठ ने आप सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील संदीप सेठी और दिल्ली सरकार के अतिरिक्त स्थायी अधिवक्ता सत्यकाम से कहा, ‘‘ आपके मंत्री जो बयान दे रहे हैं, हम उसका न्यायिक संज्ञान ले सकते हैं।’’
इसने सुनवाई के दौरान यह भी संज्ञान में लिया कि शवदाह गृह ‘भरे’ हैं और ‘चिता रात भर जल रही’ हैं।
पीठ ने दिल्ली सरकार से पूछा कि कोविड-19 से काफी लोगों की मौत हो रही है और ऐसे में उनके अंतिम संस्कार के लिए पर्याप्त व्यवस्था है या नहीं।
अदालत ने कहा कि दिल्ली सरकार को त्वरित एंटीजन जांच (आरएटी) पर निर्भरता कम करके ज्यादा सटीक आरटीपीसीआर जांच को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए क्योंकि ज्यादा से ज्यादा वैसे लोग संक्रमित पाए जा रहे हैं, जिनमें संक्रमण के लक्षण नहीं हैं। शहर में कोविड-19 के मामले बढ़ रहे हैं।
अदालत ने कहा कि दिल्ली सरकार को यह तथ्य स्वीकार करना चाहिए कि आरएटी प्रभावी नहीं है।
आरटी/पीसीआर प्रयोगशाला की तकनीक है, जिसका व्यापक इस्तेमाल आनुवांशिक बीमारियों का पता लगाने और जीन संबंधी अनुसंधान के लिए किया जाता है।
पीठ ने सरकार को निर्देश दिया कि वह अगली सुनवाई की तारीख 26 नवंबर से पहले स्थिति रिपोर्ट दायर करे और इसमें अंतिम संस्कार के बंदोबस्त, अपने अस्पतालों में 663 की अतिरिक्त संख्या में आईसीयू बिस्तरों में वृद्धि और वैसे लोगों को पृथकवास में रखने के लिए देखभाल केंद्रों की संख्या में बढ़ोतरी करने, जो घर में पृथकवास में नहीं रह सकते हैं’ जैसे तथ्यों को शामिल करे।
अदालत वकील राकेश मल्होत्रा की याचिका पर सुनवाई कर रही है। उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 जांच की संख्या बढ़ाने और जल्द से जल्द रिपोर्ट मिलने के संबंध में याचिका दायर की है।
अदालत ने कोविड-19 के मामलों की बढ़ती संख्या के बाद भी सार्वजनिक गतिविधियों और लोगों के एकत्र होने संबंधी नियमों में ढिलाई पर 11 नवंबर को भी दिल्ली सरकार की खिंचाई की थी।
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