देश की खबरें | केंद्रीय मंत्री के बंगले में अनधिकृत निर्माण से संबंधित मामले पर अदालत ने लगाई बीएमसी को फटकार

मुंबई, 23 अगस्त बंबई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के इस रुख को खारिज कर दिया कि वह जुहू में केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के बंगले में अनधिकृत निर्माण को नियमित करने के लिए दूसरे आवेदन पर विचार करने के लिए तैयार है।

बीएमसी ने जून में राणे की कंपनी की ओर से दाखिल नियमितीकरण आवेदन को खारिज कर दिया था, जिसके खिलाफ कंपनी ने अदालत का रुख किया था। लेकिन अदालत ने बीएमसी के फैसले को स्वीकार कर लिया था।

पहला आवेदन जब खारिज किया गया तब महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस की सरकार थी। इसके बाद एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के विधायकों ने विद्रोह कर दिया और जून के अंतिम सप्ताह में ठाकरे सरकार गिर गई। फिर वर्तमान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में महाराष्ट्र में नयी सरकार बनी।

न्यायमूर्ति आर. डी. धानुका और न्यायमूर्ति कमल खता की खंडपीठ ने मंगलवार को पूछा कि बीएमसी पहले आवेदन को खारिज करने के बाद दूसरे आवेदन पर कैसे विचार कर सकता है।

राणे की कंपनी और बीएमसी दोनों के वकीलों ने कहा कि कानून व मौजूदा नियमों के अनुसार किसी दूसरे आवेदन पर विचार किया जा सकता है।

हालांकि अदालत ने इस तर्क को खारिज कर दिया।

पीठ ने पूछा, '' क्या (राणे की याचिका खारिज करने के बीएमसी के पहले फैसले को स्वीकार करने के) इस अदालत के निर्णय का कोई महत्व नहीं है।''

न्यायाधीशों ने कहा, ''जब यह अदालत आदेश पारित कर चुकी है, तो फिर आप अलग रुख कैसे अपना सकते हैं। क्या बीएमसी अदालत से ऊपर है।''

इसके बाद पीठ ने राणे के परिवार के स्वामित्व वाली कंपनी कालका रियल एस्टेट्स की याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया, जिसमें बीएमसी को उसके दूसरे आवेदन पर निर्णय लेने का निर्देश देने की मांग की गई है।

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