देश की खबरें | मनरेगा में आधार-आधारित भुगतान प्रणाली को अनिवार्य नहीं बनाया जाए: कांग्रेस

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि मनरेगा के तहत प्रतिदिन मजदूरी को 400 रुपये किया जाना चाहिए तथा आधार-आधारित भुगतान प्रणाली को अनिवार्य नहीं बनाया जाना चाहिए।

रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘तीन आसान कदमों में मनरेगा को खत्म करने की तरकीब। पहला कदम- एक दशक से मनरेगा को पर्याप्त धन न देना, जिससे मजदूरी दर स्थिर बनी रही और लंबित भुगतान की राशि लगातार बढ़ती गई, जो इस वित्तीय वर्ष की शुरुआत में 21,000 करोड़ रुपये तक पहुंच चुकी है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘दूसरा कदम- वित्त मंत्रालय की मासिक/त्रैमासिक व्यय योजना लागू करना, जिसके तहत वित्तीय वर्ष के पहले छह महीनों में मनरेगा के कुल बजट का केवल 60 प्रतिशत खर्च करने की सीमा तय कर दी गई है।’’

रमेश के अनुसार, ‘‘तीसरा कदम- जब लंबित भुगतान निपटाने के बाद बजट की गुंजाइश न बचे, तो मनरेगा लाभार्थियों को काम देना प्रभावी रूप से बंद कर देना।’’

उन्होंने कहा कि पहला और दूसरा कदम लागू हो चुके हैं तथा तीसरा कदम अब जल्द ही सामने आने वाला है।

रमेश ने कहा कि असल में इसके बजाय कुछ दूसरे कदम उठाये जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘‘मनरेगा की मजदूरी बढ़ाकर 400 रुपये प्रतिदिन की जानी चाहिए, आधार-आधारित भुगतान प्रणाली को अनिवार्य नहीं बनाया जाना चाहिए। मजदूरी का भुगतान 15 दिनों की वैधानिक समय-सीमा के भीतर किया जाना चाहिए और किसी भी प्रकार की देरी पर मजदूरों को मुआवजा दिया जाना चाहिए।’’

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