चेन्नई, 27 नवंबर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने बुधवार को केंद्रीय एमएसएमई मंत्री जीतन राम मांझी को पत्र लिखकर सूचित किया कि राज्य सरकार पीएम विश्वकर्मा योजना को उसके मौजूदा स्वरूप में लागू नहीं करेगी।
स्टालिन ने मांझी को लिखे पत्र में कहा कि तमिलनाडु ने कारीगरों के लिए सामाजिक न्याय पर आधारित एक अधिक समावेशी और व्यापक योजना तैयार करने का फैसला किया है, जो जाति के आधार पर भेदभाव नहीं करती है।
मुख्यमंत्री ने इस साल चार जनवरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे अपने पत्र का हवाला देते हुए कहा है कि तमिलनाडु ने विश्वकर्मा योजना में संशोधन की मांग की थी।
इसके साथ ही उन्होंने इस योजना का अध्ययन करने के लिए तमिलनाडु में एक समिति गठित किए जाने का भी उल्लेख किया। दरअसल राज्य सरकार को इस बात की चिंता थी कि यह पहल ‘जाति-आधारित व्यवसाय’ की व्यवस्था को मजबूत करती है।
इस समिति ने केंद्र की योजना में संशोधन की सिफारिश की थी और इसे प्रधानमंत्री मोदी के ध्यान में भी लाया गया था।
हालांकि सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई) विभाग की ओर से 15 मार्च को आए जवाब में राज्य सरकार द्वारा सुझाए गए संशोधनों का कोई उल्लेख नहीं था।
स्टालिन ने कहा, ‘‘ऐसी स्थिति में तमिलनाडु सरकार पीएम विश्वकर्मा योजना के कार्यान्वयन को उसके मौजूदा स्वरूप में आगे नहीं बढ़ाएगी।’’
इसके साथ ही उन्होंने मांझी को लिखे पत्र में कहा, ‘‘सामाजिक न्याय के समग्र सिद्धांत के तहत तमिलनाडु सरकार ने कारीगरों के लिए एक अधिक समावेशी और व्यापक योजना लाने का फैसला किया है, जो जाति के आधार पर भेदभाव नहीं करती है।’’
उन्होंने कहा कि प्रस्तावित योजना राज्य के सभी कारीगरों को जाति या पारिवारिक व्यवसायों के बावजूद समग्र समर्थन प्रदान करेगी। ऐसी योजना उन्हें वित्तीय मदद, प्रशिक्षण और उनके विकास के लिए सभी जरूरी सहायता देने का काम करेगी।
तमिलनाडु सरकार द्वारा गठित समिति ने आवेदक के परिवार के पारंपरिक रूप से परिवार-आधारित पारंपरिक व्यवसाय में लगे होने की अनिवार्य शर्त को हटाने की सिफारिश की थी। इसके अलावा न्यूनतम आयु मानदंड को बढ़ाकर 35 वर्ष करने का सुझाव भी दिया गया था।
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