नयी दिल्ली, चार मार्च उच्चतम न्यायालय सोमवार को बीबीसी द्वारा दायर उस याचिका पर सुनवाई करने के लिए सहमत हो गया, जिसमें निषेध आदेश के बावजूद वृत्तचित्र ‘वाइल्ड कर्नाटक’ दिखाने के लिए उसके ओटीटी मंच के खिलाफ कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा शुरू की गई अवमानना कार्यवाही को चुनौती दी गई है।
प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला एवं न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने बीबीसी की याचिका पर नोटिस जारी किया और मामले को ‘ओवर-द-टॉप’ (ओटीटी) मंच नेटफ्लिक्स द्वारा दायर इसी तरह की याचिका के साथ संबद्ध कर दिया।
उच्चतम न्यायालय ने 25 जनवरी, 2024 को नेटफ्लिक्स को राहत देते हुए एक वृत्तचित्र 'वाइल्ड कर्नाटक' दिखाने के लिए इस ओटीटी प्लेटफॉर्म के खिलाफ कर्नाटक उच्च न्यायालय की ओर से शुरू की गई अवमानना कार्यवाही पर रोक लगा दी थी।
इससे पहले, उच्च न्यायालय ने एक मामले में बीबीसी, डिस्कवरी और नेटफ्लिक्स सहित विभिन्न प्रसारकों के खिलाफ दीवानी अवमानना के लिए आरोप तय किये थे, जहां फिल्म निर्माताओं और प्रसारकों पर वृत्तचित्र की रिलीज और प्रसारण के संबंध में अदालत के 2021 के अंतरिम आदेश की अवज्ञा का आरोप लगाया गया था।
यह मामला रवींद्र एन रेडकर और उल्लास कुमार की याचिका पर 29 जून, 2021 को उच्च न्यायालय द्वारा पारित एक अंतरिम आदेश से संबंधित है।
मामले के अनुसार, मडस्किपर लैब्स और आईटीवी स्टूडियोज ग्लोबल ने 2014 में एक वृत्तचित्र फिल्माने के लिए कल्याण वर्मा और अमोघवर्ष से संपर्क किया था।
एक वृत्तचित्र की शूटिंग के लिए कर्नाटक वन विभाग (केएफडी) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के बाद, आरोपी ने कथित तौर पर परिवहन और शूटिंग अनुमति जैसी केएफडी की सेवाओं का उपयोग बिना किसी शुल्क के किया।
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