अररिया (बिहार), 26 अप्रैल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मतपत्रों से चुनाव कराने की मांग को उच्चतम न्यायालय द्वारा खारिज कर दिए जाने का जिक्र करते हुए शुक्रवार को कहा कि यह कांग्रेस नीत गठबंधन ‘इंडी’ के लिए करारा तमाचा है।
मोदी ने अररिया में एक चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘राजद-कांग्रेस और ‘इंडी’ गठबंधन को न देश के संविधान और न ही लोकतंत्र की परवाह है। ये वे लोग हैं जिन्होंने 10 साल तक मतपत्रों के बहाने गरीबों का अधिकार छीना... बिहार के लोग साक्षी हैं कैसे राजद-कांग्रेस के शासन में चुनाव में बूथ और मतपत्र लूट लिए जाते थे। इतना ही नहीं गरीबों को वोट डालने के लिए घर से बाहर भी निकलने नहीं दिया जाता था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘देश के गरीबों और ईमानदार मतदाताओं को जब ईवीएम की ताकत मिली तो यह उन लोगों को बर्दाश्त नहीं हो रहा था जो चुनाव के दिन वोट लूटने का खेल खेलते थे।’’
प्रधानमंत्री ने विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ पर अपना प्रहार जारी रखते हुए कहा, ‘‘उसके हर नेता ने ईवीएम को लेकर जनता के मन में संदेह पैदा करने का पाप किया है। लेकिन देश के लोकतंत्र और बाबासाहेब आंबेडकर के संविधान की ताकत देखिए, आज उच्चतम न्यायालय ने करीब दो घंटे पहले ही मत पेटियों को लूटने वालों और इसका इरादा रखने वालों को कैसा झटका दिया है। उनके सारे सपने चूर-चूर हो गए हैं। आज उच्चतम न्यायालय ने साफ-साफ कह दिया है यह मतपत्र वाला पुराना दौर वापस लौट नहीं आएगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आज जब पूरी दुनिया भारत के लोकतंत्र, चुनाव प्रक्रिया और यहां चुनाव में तकनीक के उपयोग की तारीफ कर रही है, तब ये लोग अपने निजी स्वार्थ के लिए ईवीएम को बदनाम करने में लगे थे। इन्होंने लोकतंत्र के साथ लगातार विश्वासघात करने की कोशिश की है लेकिन आज इन्हीं लोगों को देश की सर्वोच्च अदालत ने करार तमाचा मारा है।’’
मोदी ने उच्चतम न्यायालय के फैसले की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘ आज लोकतंत्र के लिए शुभ दिन और विजय का दिन है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘‘इंडी’ गठबंधन के हर नेता को देश की जनता से माफी मांगनी चाहिए।
मोदी ने कहा कि आज देश में राजनीति की दो मुख्य धाराएं बन गई हैं। उन्होंने कहा, ‘‘एक धारा भाजपा और राजग की है जिसका मकसद देश के लोगों को सशक्त करना, हर लाभार्थी के दरवाजे तक खुद जाकर लाभ पहुंचाना है। इसके विपरीत दूसरी धारा कांग्रेस और राजद की है... जिसका मकसद देश के लोगों से छीनना, उन्हें तरसा कर रखना और खुद की तिजोरी भरना है।’’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘ कांग्रेस और राजद ने मिलकर बिहार के करोड़ों लोगों को दाने-दाने का मोहताज बना दिया। किसी के पास खेत-खलियान है तो नौकरी के बदले उसकी जमीन छीन लो, किसी के पास नौकरी है तो तनख्वाह छीन लो, किसी के पास गाड़ी है तो गाड़ी छीन लो...यही जंगलराज के दिनों का हाल था।’’
मोदी ने कहा, ‘‘नीतीश (कुमार) जी और भाजपा के लोगों तथा राजग के सब साथियों ने बड़ी मेहनत कर बिहार को उस जंगलराज से बाहर निकाला है... पिछले 10 साल में बिहार के लोगों को करीब 50,000 करोड रुपए सीधे उनके खाते में दिल्ली से हस्तांतरित किए गए।’’
प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर ओबीसी (अन्य पिछड़े वर्ग) के लिए दिए गए आरक्षण की ‘‘चोरी’’ करने और कर्नाटक में मुसलमानों को लाभ हस्तांतरित करने का भी आरोप लगाया और कहा कि देश के बाकी हिस्सों में भी, जहां वह सत्ता में है, करना चाहती थी। उन्होंने दावा किया कि बिहार में उसकी सहयोगी पार्टी राजद ने दक्षिणी राज्य में कांग्रेस के इस कदम के खिलाफ एक शब्द भी नहीं बोला।
मोदी ने कहा, ‘‘खुद ओबीसी होने के नाते, मैं पिछड़े वर्गों के सामने आने वाली कठिनाइयों को जानता हूं।’’ उन्होंने कहा कि भविष्य में वे एससी (अनुसूचित जाति) और एसटी (अनुसूचित जनजाति) के आरक्षण में भी कटौती कर उसे अपने वोट बैंक को दे सकते हैं।
यह दावा करते हुए कि मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली पिछली सरकार ने मुसलमानों को आरक्षण देने के लिए अपनी मंजूरी दी थी, प्रधानमंत्री ने आरोप लगाया कि कांग्रेस और उसके पारिस्थितिकी तंत्र ने उन्हें डराने-धमकाने की कोशिश की लेकिन सफलता नहीं मिली।
उन्होंने एक बार फिर दोहराया कि कांग्रेस के घोषणापत्र पर मुस्लिम लीग की छाप है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘मैं कहता हूं कि देश के संसाधनों पर पहला हक गरीबों का है। कांग्रेस राजद और उनके सहयोगियों का कहना है कि पहला दावा उनके वोट बैंक का है। वे आपकी संपत्ति चुराना चाहते हैं, यहां तक कि महिलाओं के मंगलसूत्र भी चुराना चाहते हैं।’’
मोदी ने अमेरिका में विरासत कर संबंधी कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा की टिप्पणी की ओर इशारा करते हुए आरोप लगाया, ‘‘कांग्रेस के लोग नहीं चाहते कि आप अपने बच्चों को विरासत में संपत्ति दें।’’
उन्होंने नारा दिया कि ‘‘कांग्रेस की लूट जिंदगी के साथ भी, जिंदगी के बाद भी।’’
मोदी ने पहले चरण में सामान्य से कम मतदान की पृष्ठभूमि में स्वस्थ मतदान की आवश्यकता को रेखांकित किया और कहा कि मतदान के दिन प्रचार के दौरान की कटुता को पीछे छोड़कर उत्सव का माहौल होना चाहिए।
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