नयी दिल्ली, 16 अगस्त किसी परमार्थ संगठन द्वारा मोबाइल टैंकरों या डिस्पेंसर के जरिये आम लोगों को पेयजल की आपूर्ति पर 18 प्रतिशत का माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लगेगा। अग्रिम निर्णय प्राधिकरण (एएआर) ने यह व्यवस्था दी है।
एएआर की आंध्र प्रदेश पीठ ने विजयवाहिनी चैरिटेबल फाउंडेशन के मामले में कहा कि संगठन द्वारा 'विशुद्ध’ पानी की आपूर्ति की जा रही है। ऐसे में यह मामला जीएसटी छूट के लिए उपयुक्त नहीं है।
विजयवाहिनी चैरिटेबल फाउंडेशन ने एएआर से पूछा था कि क्या आम जनता को मोबाइल टैंकर या डिस्पेंसर के जरिये भूमिगत जल को रिवर्स ऑस्मोसिस (आरओ) के जरिये शुद्ध करने के बाद रियायती दरों पर की गई आपूर्ति पर जीएसटी की छूट मिलेगी।
एएआर ने कहा कि संगठन ने जो मुख्य आपूर्ति की है वह प्यूरिफाइड या विशुद्ध जल की है, जिसपर 18 प्रतिशत की दर से कर लेगा। वहीं मोबाइल इकाइयों के जरिये वितरण संबद्ध सेवाओं में आती है, और इस पर 18 प्रतिशत की दर से कर देय होगा।
एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के वरिष्ठ भागीदार रजत मोहन ने कहा कि खुले बोरवेल वाला पानी या भूमिगत जल पीने योग्य नहीं होता। ऐसे में आम जनता को आपूर्ति से पहले उस पानी का शोधन करने की जरूरत होती है।
मोहन ने कहा, ‘‘आम जनता के उपभोग के लिए ऐसे पानी की आपूर्ति पर 18 प्रतिशत का कर लगाना बुनियादी मानवाधिकार के खिलाफ है। सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए बिना सील वाले कंटेनरों में पीने वाले पानी की आपूर्ति को कर से छूट देनी चाहिए।’’
अजय
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