लंदन, 27 अगस्त ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक को भारत के साथ प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) में पत्नी अक्षता मूर्ति के अनुमानित 50 करोड़ पाउंड के इंफोसिस शेयरों को लेकर पारदर्शिता संबंधी कुछ सवालों का सामना करना पड़ सकता है। एक खबर में यह कहा गया है।
अखबार ‘द ऑब्जर्वर’ का दावा है कि विपक्षी दल लेबर पार्टी और व्यापार विशेषज्ञ पूर्ण वित्तीय प्रभाव पर सवाल उठा रहे हैं क्योंकि अक्षता के पिता नारायण मूर्ति द्वारा सह-स्थापित बेंगलुरु से संचालित सॉफ्टवेयर सेवा कंपनी इंफोसिस को ऐसे किसी भी व्यापार समझौते से लाभ होगा।
भारत और ब्रिटेन एफटीए पर बातचीत कर रहे हैं और इस संबंध में वार्ता 12वें दौर में है। सुनक अगले महीने जी-20 नेताओं के शिखर सम्मेलन के लिए ब्रिटिश प्रधानमंत्री के रूप में भारत की अपनी पहली यात्रा की तैयारी कर रहे हैं।
लेबर पार्टी के सांसद और हाउस ऑफ कॉमन्स बिजनेस एंड ट्रेड सलेक्ट कमेटी के अध्यक्ष डैरेन जोन्स ने कहा, ‘‘जैसा कि प्रधानमंत्री को हाल में पता चला, यह जरूरी है कि वह किसी भी हित की उचित घोषणा करें। मुझे उम्मीद है कि वह भारत व्यापार समझौते के संबंध में भी ऐसा करेंगे।’’
यह कमेटी एफटीए वार्ता की समीक्षा कर रही है। इस सप्ताह की शुरुआत में, ब्रिटेन की संसदीय निगरानी संस्था ने एक जांच की अपनी रिपोर्ट जारी की, जिसमें कहा गया कि सुनक अनजाने में कंपनी कोरू किड्स में अपनी पत्नी के शेयरों की सही घोषणा करने में विफल रहे थे, जो सरकार की बजट नीति से लाभान्वित होने वाली थी। ब्रिटिश भारतीय नेता सुनक (43) ने ‘‘भ्रम के कारण’’ अनजाने में उल्लंघन के लिए माफी मांगी और मामला बंद कर दिया गया।
‘ऑब्जर्वर’ की खबर के अनुसार, इंफोसिस वीजा व्यवस्था में बदलाव के माध्यम से अपने हजारों अनुबंध कर्मचारियों के लिए ब्रिटेन तक पहुंच में सुधार करना चाहती है। सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) जैसे क्षेत्रों में अपने कर्मचारियों के लिए अधिक वीजा की अनुमति देना ‘‘वार्ता में प्रमुख भारतीय मांग’’ होने का दावा किया गया है। इंफोसिस का ब्रिटिश सरकार के साथ-साथ कई ब्रिटेन की कंपनियों के साथ अनुबंध है।
अखबार का दावा है कि विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय (एफसीडीओ) ने संभावित सौदे से जुड़े मुद्दों पर गौर करने के लिए आगामी महीनों में भारत की यात्रा आयोजित करने के खिलाफ बिजनेस एंड ट्रेड सेलेक्ट कमेटी को आगाह किया है।
कमेटी के अध्यक्ष जोन्स ने अखबार को बताया, ‘‘सरकार ने कमेटी को सलाह दी थी कि संवेदनशील व्यापार वार्ता के बजाय अगले साल भारत का दौरा करना बेहतर होगा।’’
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