जरुरी जानकारी | चीनी उद्योग निकाय की क्षेत्र को 'पतन' से बचाने के लिए सरकार से हस्तक्षेप की मांग

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. राष्ट्रीय सहकारी चीनी फैक्टरी महासंघ (एनएफसीएसएफ) ने शुक्रवार को चीनी क्षेत्र में आसन्न संकट के बारे में चेताते हुए सरकार से इसे ‘पतन’ से बचाने को तत्काल कदम उठाने का आग्रह किया।

एजेंसी न्यूज Bhasha|
जरुरी जानकारी | चीनी उद्योग निकाय की क्षेत्र को 'पतन' से बचाने के लिए सरकार से हस्तक्षेप की मांग

नयी दिल्ली, आठ नवंबर राष्ट्रीय सहकारी चीनी फैक्टरी महासंघ (एनएफसीएसएफ) ने शुक्रवार को चीनी क्षेत्र में आसन्न संकट के बारे में चेताते हुए सरकार से इसे ‘पतन’ से बचाने को तत्काल कदम उठाने का आग्रह किया।

केंद्रीय खाद्य सचिव को लिखे एक पत्र में महासंघ ने बढ़ते चीनी स्टॉक और बढ़ती उत्पादन लागत के कारण चीनी क्षेत्र के गंभीर वित्तीय संकट की स्थिति को उजागर किया है।

एनएफसीएसएफ के अनुसार, 2024-25 के चीनी सत्र (अक्टूबर-सितंबर) में शुरुआती स्टॉक 80 लाख टन है, जिसमें एथनॉल ‘डायवर्जन’ (एथनॉल उत्पादन के लिए उपयोग होने वाले चीनी स्टॉक) को छोड़कर 325 लाख टन के उत्पादन का अनुमान है। घरेलू खपत 290 लाख टन होने का अनुमान है, और देशभर के 535 कारखानों के गोदामों में लगभग 115 लाख टन चीनी रहेगी।

महासंघ ने बताया कि सरकार ने वर्ष 2024-25 के लिए उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) को आठ प्रतिशत बढ़ाकर 3,400 रुपये प्रति टन कर दिया है, जबकि उद्योग का न्यूनतम विक्रय मूल्य (एमएसपी) वर्ष 2018-19 से 31 रुपये प्रति किलोग्राम पर स्थिर बना हुआ है, जबकि उत्पादन लागत बढ़कर 41.66 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है।

एनएफसीएसएफ ने कहा, ‘‘चीनी उद्योग को अपना परिचालन जारी रखने के लिए 1.5 लाख करोड़ रुपये खर्च करने होंगे, जिसमें से 75 प्रतिशत किसानों के भुगतान के लिए और शेष कारखाना संचालन के लिए होंगे।’’

उद्योग निकाय ने एथनॉल मूल्य निर्धारण और आवंटन के बारे में भी चिंता जताई है।

दिसंबर, 2023 में लगाए गए सरकारी अंकुशों के बाद एथनॉल मिश्रण कार्यक्रम में इस क्षेत्र का योगदान वर्ष 2021-22 के 83 प्रतिशत से घटकर वर्तमान में 37 प्रतिशत रह गया है।

एथनॉल आपूर्ति वर्ष 2024-25 के लिए 940 करोड़ लीटर की आवश्यकता के मुकाबले, तेल विपणन कंपनियों को 837 करोड़ लीटर आवंटित किया गया है। इसमें चीनी उद्योग का योगदान 317 करोड़ लीटर का है, जिसमें लगभग 40 लाख टन चीनी का डायवर्जन (हस्तांतरण) शामिल है।

बढ़ी हुई एफआरपी के बावजूद, बी-हेवी शीरा और गन्ना रस से बने एथनॉल की कीमत एक साल से अधिक समय से समायोजित नहीं की गई है, जिससे इस क्षेत्र की आर्थिक व्यवहार्यता कम हो गई है।

महासंघ ने क्षेत्र की लाभप्रदता बनाए रखने के लिए गन्ना रस आधारित एथनॉल के लिए 73.14 रुपये प्रति लीटर और बी-हेवी शीरा आधारित एथनॉल के लिए 67.70 रुपये प्रति ली�otos

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    एजेंसी न्यूज Bhasha|
    जरुरी जानकारी | चीनी उद्योग निकाय की क्षेत्र को 'पतन' से बचाने के लिए सरकार से हस्तक्षेप की मांग

    नयी दिल्ली, आठ नवंबर राष्ट्रीय सहकारी चीनी फैक्टरी महासंघ (एनएफसीएसएफ) ने शुक्रवार को चीनी क्षेत्र में आसन्न संकट के बारे में चेताते हुए सरकार से इसे ‘पतन’ से बचाने को तत्काल कदम उठाने का आग्रह किया।

    केंद्रीय खाद्य सचिव को लिखे एक पत्र में महासंघ ने बढ़ते चीनी स्टॉक और बढ़ती उत्पादन लागत के कारण चीनी क्षेत्र के गंभीर वित्तीय संकट की स्थिति को उजागर किया है।

    एनएफसीएसएफ के अनुसार, 2024-25 के चीनी सत्र (अक्टूबर-सितंबर) में शुरुआती स्टॉक 80 लाख टन है, जिसमें एथनॉल ‘डायवर्जन’ (एथनॉल उत्पादन के लिए उपयोग होने वाले चीनी स्टॉक) को छोड़कर 325 लाख टन के उत्पादन का अनुमान है। घरेलू खपत 290 लाख टन होने का अनुमान है, और देशभर के 535 कारखानों के गोदामों में लगभग 115 लाख टन चीनी रहेगी।

    महासंघ ने बताया कि सरकार ने वर्ष 2024-25 के लिए उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) को आठ प्रतिशत बढ़ाकर 3,400 रुपये प्रति टन कर दिया है, जबकि उद्योग का न्यूनतम विक्रय मूल्य (एमएसपी) वर्ष 2018-19 से 31 रुपये प्रति किलोग्राम पर स्थिर बना हुआ है, जबकि उत्पादन लागत बढ़कर 41.66 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है।

    एनएफसीएसएफ ने कहा, ‘‘चीनी उद्योग को अपना परिचालन जारी रखने के लिए 1.5 लाख करोड़ रुपये खर्च करने होंगे, जिसमें से 75 प्रतिशत किसानों के भुगतान के लिए और शेष कारखाना संचालन के लिए होंगे।’’

    उद्योग निकाय ने एथनॉल मूल्य निर्धारण और आवंटन के बारे में भी चिंता जताई है।

    दिसंबर, 2023 में लगाए गए सरकारी अंकुशों के बाद एथनॉल मिश्रण कार्यक्रम में इस क्षेत्र का योगदान वर्ष 2021-22 के 83 प्रतिशत से घटकर वर्तमान में 37 प्रतिशत रह गया है।

    एथनॉल आपूर्ति वर्ष 2024-25 के लिए 940 करोड़ लीटर की आवश्यकता के मुकाबले, तेल विपणन कंपनियों को 837 करोड़ लीटर आवंटित किया गया है। इसमें चीनी उद्योग का योगदान 317 करोड़ लीटर का है, जिसमें लगभग 40 लाख टन चीनी का डायवर्जन (हस्तांतरण) शामिल है।

    बढ़ी हुई एफआरपी के बावजूद, बी-हेवी शीरा और गन्ना रस से बने एथनॉल की कीमत एक साल से अधिक समय से समायोजित नहीं की गई है, जिससे इस क्षेत्र की आर्थिक व्यवहार्यता कम हो गई है।

    महासंघ ने क्षेत्र की लाभप्रदता बनाए रखने के लिए गन्ना रस आधारित एथनॉल के लिए 73.14 रुपये प्रति लीटर और बी-हेवी शीरा आधारित एथनॉल के लिए 67.70 रुपये प्रति लीटर की दर से एथनॉल की कीमतों में संशोधन की मांग की है।

    एनएफसीएसएफ ने सरकार से इन चुनौतियों से निपटने तथा क्षेत्र की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए त्वरित कार्रवाई करने का आग्रह किया है।

    राजेश राजेश अजय

    (यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)

    एनएफसीएसएफ के अनुसार, 2024-25 के चीनी सत्र (अक्टूबर-सितंबर) में शुरुआती स्टॉक 80 लाख टन है, जिसमें एथनॉल ‘डायवर्जन’ (एथनॉल उत्पादन के लिए उपयोग होने वाले चीनी स्टॉक) को छोड़कर 325 लाख टन के उत्पादन का अनुमान है। घरेलू खपत 290 लाख टन होने का अनुमान है, और देशभर के 535 कारखानों के गोदामों में लगभग 115 लाख टन चीनी रहेगी।

    महासंघ ने बताया कि सरकार ने वर्ष 2024-25 के लिए उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) को आठ प्रतिशत बढ़ाकर 3,400 रुपये प्रति टन कर दिया है, जबकि उद्योग का न्यूनतम विक्रय मूल्य (एमएसपी) वर्ष 2018-19 से 31 रुपये प्रति किलोग्राम पर स्थिर बना हुआ है, जबकि उत्पादन लागत बढ़कर 41.66 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है।

    एनएफसीएसएफ ने कहा, ‘‘चीनी उद्योग को अपना परिचालन जारी रखने के लिए 1.5 लाख करोड़ रुपये खर्च करने होंगे, जिसमें से 75 प्रतिशत किसानों के भुगतान के लिए और शेष कारखाना संचालन के लिए होंगे।’’

    उद्योग निकाय ने एथनॉल मूल्य निर्धारण और आवंटन के बारे में भी चिंता जताई है।

    दिसंबर, 2023 में लगाए गए सरकारी अंकुशों के बाद एथनॉल मिश्रण कार्यक्रम में इस क्षेत्र का योगदान वर्ष 2021-22 के 83 प्रतिशत से घटकर वर्तमान में 37 प्रतिशत रह गया है।

    एथनॉल आपूर्ति वर्ष 2024-25 के लिए 940 करोड़ लीटर की आवश्यकता के मुकाबले, तेल विपणन कंपनियों को 837 करोड़ लीटर आवंटित किया गया है। इसमें चीनी उद्योग का योगदान 317 करोड़ लीटर का है, जिसमें लगभग 40 लाख टन चीनी का डायवर्जन (हस्तांतरण) शामिल है।

    बढ़ी हुई एफआरपी के बावजूद, बी-हेवी शीरा और गन्ना रस से बने एथनॉल की कीमत एक साल से अधिक समय से समायोजित नहीं की गई है, जिससे इस क्षेत्र की आर्थिक व्यवहार्यता कम हो गई है।

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