जरुरी जानकारी | वित्तीय प्रौद्योगिकी उद्योग के नियमन को लेकर भारत में पुख्ता कदम उठाए गए : अधिकारी

इंदौर (मध्यप्रदेश), 27 नवंबर केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को कहा कि धनशोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण के खतरों से निपटने के लिए देश में वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) की सिफारिशों के मुताबिक वित्तीय प्रौद्योगिकी (फिनटेक) उद्योग के नियमन के लिए पुख्ता कदम उठाए गए हैं।

यूरेशियन समूह (ईएजी) की इंदौर में जारी 41वीं पूर्ण बैठक के एक सत्र के बाद वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अतिरिक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने संवाददाताओं से कहा कि भारत दुनिया के उन चंद देशों में शामिल है जो एफएटीएफ की सिफारिशों के मुताबिक वित्तीय प्रौद्योगिकी उद्योग का प्रभावी नियमन कर रहे हैं।

उन्होंने बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने ’‘पेमेंट एग्रीगेटर’’ और ‘‘पेमेंट गेट-वे’’ के नियमन के लिए भी अलग से दिशानिर्देश जारी किए हैं।

अग्रवाल, ईएजी की पांच दिवसीय बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख (एचओडी) के तौर पर हिस्सा ले रहे हैं। वह भारत के वित्तीय आसूचना इकाई (एफआईयू) के निदेशक भी हैं।

उन्होंने बताया कि देश में मार्च, 2023 के दौरान धनशोधन रोधक कानून (पीएमएलए) के तहत अधिसूचना जारी करके आभासी परिसंपत्ति सेवा प्रदाताओं (वीएएसपी) को भी कानूनी दायरे में लाया गया है और एफआईयू में उनका पंजीयन अनिवार्य किया गया है।

अधिकारी ने कहा, ‘‘वित्तीय प्रौद्योगिकी का विकास डिजिटल भुगतान प्रणाली की वृद्धि के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, लेकिन खासकर धनशोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण के खतरों के मद्देनजर इस प्रौद्योगिकी के विकास की अपनी चुनौतियां भी हैं क्योंकि तकनीक के दुरुपयोग से अपराधी गुमनाम रहकर साइबर अपराध और वित्तीय धोखाधड़ी को अंजाम दे सकते हैं।’’

अग्रवाल ने कहा, ‘‘भारत का वित्तीय प्रौद्योगिकी क्षेत्र दुनियाभर में अग्रणी है। हम चाहते हैं कि नियमन कुछ इस तरह किया जाए कि इससे उद्योग की वृद्धि न रुके, कारोबारी सुगमता बढ़े और देश डिजिटल तकनीक का वैश्विक केंद्र बना रहे।’’

संवाददाताओं के साथ बातचीत से पहले, अग्रवाल ईएजी और धन शोधन से निपटने के लिए गठित एशिया-प्रशांत समूह (एपीजी) की कार्यशाला में शामिल हुए। ‘‘नवाचारी वित्त’’ विषय पर आयोजित कार्यशाला में ईएजी के अध्यक्ष यूरी चिखानचिन और एपीजी के सह-अध्यक्ष मित्सुतोशी काजीकावा ने भी शिरकत की।

अधिकारियों ने बताया कि इंदौर में ईएजी की 29 नवंबर तक चलने वाली बैठक में करीब 200 विदेशी और 60 भारतीय प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। उन्होंने बताया कि इनमें अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ), एशियाई विकास बैंक (एडीबी) और दूसरे संगठनों के अधिकारी शामिल हैं।

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