नयी दिल्ली, नौ दिसंबर केंद्र ने राज्य सरकारों को अब खरीद अवधि की समाप्ति से 6 और 7 महीने के भीतर क्रमश: ज्वार तथ रागी वितरित करने की अनुमति दी है। अबतक यह यह अवधि तीन महीने थी।
सरकार के इस प्रयास का मकसद राशन की दुकानों और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से मोटे अनाज की आपूर्ति को बढ़ावा देना है।
केंद्रीय खाद्य मंत्रालय ने एक सरकारी बयान में कहा कि भारत सरकार ने 21 मार्च 2014 और 26 दिसंबर 2014 के मोटे अनाज की खरीद, आवंटन, वितरण और निपटान के दिशानिर्देशों में संशोधन किया है।
मोटे अनाज की खरीद को वर्ष 2014 के दिशानिर्देशों द्वारा विनियमित किया जाता था, जिसके तहत राज्यों को केंद्रीय पूल के लिए एमएसपी पर किसानों से मोटा अनाज खरीदने की अनुमति दी गई थी। यह भारतीय खाद्य निगम के परामर्श से राज्यों द्वारा तैयार की गई विस्तृत खरीद योजना पर भारत सरकार के पूर्व अनुमोदन के अधीन था।
वर्ष 2014 के दिशा-निर्देशों के अनुसार, खरीद अवधि समाप्त होने के तीन महीने के भीतर पूरी की पूरी मात्रा का वितरण किया जाना होता था।
अंशधारकों के साथ चर्चा के आधार पर केंद्र ने वर्ष 2014 के दिशानिर्देशों में संशोधन किया है।
खाद्य मंत्रालय ने कहा, ‘‘ज्वार और रागी की वितरण अवधि को पहले के 3 महीने से बढ़ाकर क्रमशः 6 और 7 महीने कर दिया गया है।’’
इससे ज्वार और रागी की खरीद और खपत में वृद्धि होगी क्योंकि राज्य के पास इन वस्तुओं को लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) / अन्य कल्याणकारी योजनाओं में वितरित करने के लिए अधिक समय होगा।
खरीद बढ़ने से इन फसलों की खरीद से लाभान्वित होने वाले किसानों की संख्या भी बढ़ेगी।
मोटे अनाज अत्यधिक पोषक, अम्ल नहीं बनाने वाले, लसीलापन मुक्त (ग्लूटन मुक्त) होते हैं और इनमें बेहतर आहार गुण होते हैं। इसके अलावा, बच्चों और किशोरों में कुपोषण से निपटने और मोटे अनाज के सेवन से प्रतिरक्षा तथा स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।
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