नयी दिल्ली, 18 जनवरी उच्चतम न्यायालय ने विभिन्न राज्यों में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण देने में आ रही कथित बाधाओं से जुड़ी कई याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई की और राज्यों से कहा कि वे अटॉर्नी जनरल को मुद्दों से अवगत कराएं जिसमें उसे निर्णय देने की जरूरत है।
बिहार, महाराष्ट्र और त्रिपुरा जैसे कई राज्यों ने शीर्ष अदालत से कहा है कि ‘यथास्थिति’ बनाए रखने के इसके पहले के निर्णय के कारण एससी/एसटी कर्मचारियों की पदोन्नति में बाधा आ रही है।
वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से हुई सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश एस. ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि यह स्वीकार किया जाता है कि कई राज्यों में इन मामलों में दी गई या प्रस्तावित पदोन्नति सवालों के घेरे में है।
पीठ ने कहा, ‘‘कई राज्यों से आए सभी मामलों में ये मुद्दे एक जैसे नहीं हैं। इसलिए हम उपयुक्त मानते हैं और न्याय के हित में इसमें तेजी लाना चाहते हैं। हर राज्य की तरफ से पेश होने वाले वकील को नोट देकर स्पष्ट रूप से अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल को उस राज्य के मुद्दे के बारे में आज से दो हफ्ते के अंदर बताना चाहिए।’’ पीठ में न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति विनीत शरण भी थे।
इसने कहा कि अटॉर्नी जनरल हर राज्यों से इस तरह का नोट मिलने के बाद राज्यों के वकीलों का सम्मेलन कर सकते हैं और ‘‘इस तरह से इस अदालत द्वारा तय किए जाने के लिए मुद्दों को अंतिम रूप दे सकते हैं।’’
इससे पहले महाराष्ट्र और अन्य राज्यों ने कहा था कि अनारक्षित श्रेणियों में पदोन्नति दी गई है लेकिन एससी और एसटी कर्मचारियों के लिए आरक्षित श्रेणी में पदोन्नति नहीं दी गई है।
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