संयुक्त राष्ट्र, 26 जून भारत ने संयुक्त राष्ट्र में कहा कि वह पिछले कई दशकों से खासकर सीमा पार से होने वाले आतंकवाद का शिकार रहा है और कुछ देश ऐसे हैं जो आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करने एवं आतंकवादियों को पनाह देने के लिए “साफ तौर पर दोषी” हैं। भारत ने भले ही स्पष्ट तौर पर न कहा हो, लेकिन उसका इशारा पाकिस्तान की तरफ था।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत टी एस तिरुमूर्ति ने दूसरे आतंकवाद निरोध सप्ताह के दौरान ‘कोविड-19 के बाद के परिदृश्य में आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटना' शीर्षक वाले उच्च स्तरीय ऑनलाइन कार्यक्रम में कहा कि आतंकवाद के खतरे से सफलतापूर्वक निपटने के लिए आर्थिक संसाधनों तक आतंकवादियों की पहुंच को रोकना अहम है।
तिरुमूर्ति ने शुक्रवार को कहा, “भारत पिछले कई दशकों से आतंकवाद का शिकार रहा है। वह खासकर सीमा पार से आतंकवाद का शिकार रहा है।”
उन्होंने कहा कि कुछ देश ऐसे हैं, जिनके पास आतंकवाद को धन मुहैया कराने से रोकने के लिए जरूरी क्षमताओं और कानूनी-परिचालन ढांचों का अभाव है, वहीं “कुछ अन्य देश हैं जो आतंकवाद को सहायता देने और आतंकवादियों को इच्छा से आर्थिक सहयोग और पनाह देने के साफ-साफ दोषी’’ हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें अक्षम देशों की क्षमताओं को निश्चित तौर पर बढ़ाना चाहिए, वहीं अंतरराष्ट्रीय समुदाय को दोषियों का सामूहिक रूप से साफ तौर पर नाम लेना चाहिए और उन्हें जिम्मेदार ठहराना चाहिए।’’
ये टिप्पणियां पाकिस्तान की ओर स्पष्ट तौर पर इशारा करती हुई प्रतीत होती हैं।
तिरुमूर्ति ने आतंकवाद के लिए धन मुहैया कराने के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय सहयोग, वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) को मजूबत करने और संयुक्त राष्ट्र के आतंकवाद निरोध ढांचे को अधिक वित्त उपलब्ध कराने की जरूरत पर बल दिया। भारत ने इस कार्यक्रम का आयोजन फ्रांस के स्थायी मिशन, संयुक्त राष्ट्र मादक पदार्थ एवं अपराध कार्यालय, संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद निरोध कार्यालय और सुरक्षा परिषद की आतंकवाद रोधी समिति कार्यकारी निदेशालय के साथ मिलकर किया था।
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