नारायण राणे के गढ़ सिंधुदुर्ग में शिवसेना (यूबीटी) अपनी पकड़ को मजबूत करने में लगी
Narayan Rane - Uddhav Thackeray- ANI

कणकवली/कुडाल, 16 नवंबर : शिवसेना (यूबीटी) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद नारायण राणे के गृह क्षेत्र सिंधुदुर्ग में अपनी पकड़ को मजबूत करना चाहती है जिसके लिए वह वंशवाद की राजनीति को मुद्दा बनाकर राणे के दोनों बेटे नीलेश और नितेश पर निशाना साध रही है जो तटीय जिले की दो सीट से विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं. दक्षिण कोंकण क्षेत्र यानी सिंधुदुर्ग कभी अविभाजित शिवसेना का गढ़ हुआ करता था लेकिन एकनाथ शिंदे के विद्रोह के दौरान उसके दो विधायक और मंत्री दीपक केसरकर और उदय सामंत के गठबंधन में शामिल होने से उसका वर्चस्व खो गया. शिवसेना (यूबीटी) लोकसभा चुनाव में सिंधुदुर्ग-रत्नागिरी सीट भी नारायण राणे से हार गई थी.

गोवा और कर्नाटक से सटे सिंधुदुर्ग जिले में तीन विधानसभा सीट-सावंतवाडी, कुडाल और कणकवली हैं. नितेश कुडाल से शिवसेना उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि नितेश पड़ोसी कणकवली से भाजपा उम्मीदवार हैं. बुधवार को मालवण में एक रैली को संबोधित करते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वंशवाद की राजनीति की बात करते हैं, लेकिन उनकी पार्टी कोंकण में भी यही करती आ रही है. उन्होंने कहा, ‘‘क्या आपको लगता है कि कोंकण पिता (नारायण राणे) को अपने सिर पर और उनके दो बेटों (नीलेश और नितेश) को अपने कंधों पर बैठने देगा? क्या यह वंशवाद की राजनीति नहीं है? आप शिवसेना या शिवसेना प्रमुख (बाल ठाकरे) की वंशवाद की राजनीति नहीं चाहते. मैं अपने परिवार की विरासत को आगे बढ़ा रहा हूं.’’ यह भी पढ़ें : सुभाष घई मेरे लिए द्रोणाचार्य की तरह, उनकी फिल्मों से बहुत कुछ सीखा: इम्तियाज अली

उन्होंने कहा कि भाजपा अपनी पार्टी में ‘‘गद्दारों’’ को स्वीकार करेगी लेकिन जब बाल ठाकरे के बेटे की बात आती है तो उसे वंशवाद की राजनीति से परेशानी होती है. मालवण, कुडाल विधानसभा सीट का हिस्सा है. उन्होंने कणकवली में भी इसी मुद्दे पर हमला किया और कोंकण में राजनीतिक हिंसा को याद करते हुए राणे से इस पर बात करने की मांग की. कुडाल से शिवसेना (यूबीटी) के उम्मीदवार वैभव नाइक ने कहा कि पार्टी सिंधुदुर्ग में वंशवाद की राजनीति के मुद्दे पर ध्यान केंद्रित कर रही है. नाइक ने ‘पीटीआई-’ से कहा, ‘‘यहां हमारे सांसद के रूप में नारायण राणे और उम्मीदवार के रूप में उनके दो बेटे हैं. हम सिंधुदुर्ग में वंशवाद की राजनीति को मुद्दा बनाकर लोगों को साध रहे हैं.’’