नयी दिल्ली, आठ दिसंबर राज्यसभा में बृहस्पतिवार को शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) की एक सदस्य ने महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद को उठाने की मांग की लेकिन आसन ने उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी।
सुबह उच्च सदन की बैठक शुरू होने पर सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि उन्हें नियम 267 के तहत कुछ नोटिस मिले हैं, लेकिन उन्होंने उन नोटिस को अस्वीकार कर दिया है क्योंकि वे व्यवस्थित नहीं हैं और न ही उनमें संबंधित नियमों का उल्लेख किया गया है।
नियम 267 के तहत दिए गए नोटिस में सदन का सामान्य कामकाज स्थगित कर विशेष मुद्दे पर चर्चा की जाती है।
शिवसेना सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी ने नियम 267 के तहत नोटिस दिया था। उन्होंने कहा कि कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच सीमा विवाद एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और इस पर राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा किए जाने की जरूरत है।
हालांकि, सभापति धनखड़ ने इसे अस्वीकार करते हुए कहा कि नियम 267 लागू करने की आवश्यकताएं पूरी नहीं हुई हैं। उन्होंने कहा, "औपचारिक अनुरोध के साथ आप आएं, इस पर विचार किया जाएगा और चर्चा होगी।"
बेलगावी (कर्नाटक) और पुणे (महाराष्ट्र) में एक-दूसरे राज्य के वाहनों पर हमलों के बाद सीमा विवाद और बढ़ गया है।
इसके बाद सदन में शून्यकाल हुआ।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) सदस्य इलामारम करीम ने पिछले महीने उच्च पेंशन पर उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद भी केंद्र सरकार और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन द्वारा अब तक कोई दिशानिर्देश नहीं जारी किए जाने का मुद्दा उठाया।
करीम ने कहा कि 70 लाख पेंशनभोगियों में से 30 लाख को न्यूनतम निर्धारित पेंशन 1,000 रुपये प्रति माह से भी कम राशि मिलती है। उन्होंने न्यूनतम मासिक पेंशन बढ़ाकर नौ हजार रुपये करने की मांग की।
कांग्रेस सदस्य पी. भट्टाचार्य ने जूट उद्योग से जुड़ी परेशानी का मुद्दा उठाया।
द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) सदस्य केआरएन राजेशकुमार ने व्यापार की तकनीकी प्रकृति को देखते हुए भारतीय किसान उर्वरक सहकारी लिमिटेड (इफको) को रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में वापस लाने की मांग की।
उन्होंने कहा कि उर्वरक बनाने वाली कंपनी इफको को हाल ही में गठित सहकारिता मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में लाया गया है।
कांग्रेस सदस्य जेबी माथेर हिशम ने केरल में तिरुवनंतपुरम के पास विझिंजम बंदरगाह कंटेनर परियोजना से प्रभावित लोगों के लिए 475 करोड़ रुपये के पैकेज की मांग की।
उन्होंने मछुआरों के लिए अधिक मुआवजे की मांग की, जिन्होंने परियोजना के खिलाफ करीब 140 दिनों के अपना विरोध इस सप्ताह के शुरू में खत्म कर दिया था।
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