गंगटोक, 27 नवंबर विपक्षी सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ) ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय से उन याचिकाओं को वापस लेने से खुद को अलग कर लिया, जिनमें निर्वाचन आयोग द्वारा एसकेएम अध्यक्ष प्रेम सिंह तमांग की अयोग्यता अवधि को 2019 में छह साल से घटाकर एक साल करने को चुनौती दी गई थी।
अयोग्यता अवधि में लगभग पांच साल की कटौती से तमांग को उस वर्ष चुनाव लड़ने में मदद मिली और वह तब हिमालयी राज्य के निर्वाचित मुख्यमंत्री बन गए, जब उनकी पार्टी सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (एसकेएम) ने एसडीएफ को सत्ता से हटा दिया था। एसकेएम इस साल की शुरुआत में सिक्किम में सत्ता में वापस आ गई।
एसडीएफ के दो नेताओं ने निर्वाचन आयोग के अयोग्यता अवधि कम करने के फैसले को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय में रिट याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ताओं ने हाल ही में शीर्ष अदालत से मामला वापस लेने का आग्रह किया और मंगलवार को उनका अनुरोध स्वीकार कर लिया गया।
एसडीएफ उपाध्यक्ष (प्रशासनिक एवं कानूनी मामले) देव गुरुंग ने एक बयान में कहा, ‘‘सभी संबंधितों को सूचित किया जाता है कि याचिकाकर्ताओं ने अपनी व्यक्तिगत क्षमता में याचिकाएं वापस ली हैं।’’
उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ताओं में से एक बिमल दवारी शर्मा ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है और अब वह एसडीएफ के सदस्य नहीं हैं, जबकि एसडीएफ उपाध्यक्ष जे बी दर्नाल ने पार्टी से परामर्श किए बिना याचिका वापस लेने के लिए आवेदन दायर किया है।
गुरुंग ने कहा कि पार्टी ने न तो उक्त याचिका वापस लेने के लिए कोई प्रस्ताव पारित किया है और न ही दर्नाल को मामला वापस लेने के लिए कोई प्राधिकार दिया है।
गुरुंग ने कहा, ‘‘एसडीएफ पार्टी को अर्जी वापसी के उनके आवेदन के बारे में जानकारी नहीं है, जो उन्होंने पूरी तरह से अपनी निजी हैसियत से किया है।"
उन्होंने कहा कि एसडीएफ नेतृत्व इस मुद्दे की गंभीरता से जांच कर रहा है और "पार्टी विरोधी गतिविधि" के लिए दर्नाल के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।
हालांकि, इस संबंध में एक अन्य याचिका अभी भी उच्चतम न्यायालय में लंबित है।
इस मामले पर टिप्पणी के लिए एसकेएम नेताओं से संपर्क नहीं हो सका।
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