जरुरी जानकारी | किसानों को बीमा दावों के रूप में 1.25 लाख करोड़ रुपये का भुगतान किया गया: सरकार
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के वर्ष 2016 में शुरू होने के बाद से इसके तहत अब तक किसानों को 1,25,662 करोड़ रुपये के दावों का भुगतान किया जा चुका है। सरकार ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
नयी दिल्ली, एक दिसंबर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के वर्ष 2016 में शुरू होने के बाद से इसके तहत अब तक किसानों को 1,25,662 करोड़ रुपये के दावों का भुगतान किया जा चुका है। सरकार ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
योजना के तहत, किसानों ने 31 अक्टूबर, 2022 तक कुल 25,186 करोड़ रुपये के फसल बीमा प्रीमियम का भुगतान किया है।
कृषि मंत्रालय ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के तहत सरकार, प्राकृतिक जोखिमों के कारण फसल नुकसान के एवज में व्यापक बीमा कवच प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।
महाराष्ट्र के कुछ जिलों में किसानों को बीमा दावों की एक मामूली राशि का भुगतान करने की खबरों पर स्पष्टीकरण देते हुए एक सरकारी बयान में कहा गया है, ‘‘इस योजना के तहत, पिछले छह साल में किसानों ने प्रीमियम के रूप में 25,186 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। वहीं 31 अक्टूबर, 2022 तक किसानों को उनके दावों के बदले में 1,25,662 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। इस योजना में केंद्र और राज्य सरकारों ने प्रीमियम के ज्यादातर हिस्से का बोझ उठाया है।’’
इसमें कहा गया है कि पीएमएफबीवाई दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी फसल बीमा योजना है और आने वाले वर्षों में पहले स्थान पर आने की उम्मीद है। क्योंकि हर साल लगभग पांच करोड़ किसानों के आवेदन इस योजना के तहत प्राप्त हो रहे हैं।
मंत्रालय ने कहा, ‘‘पिछले छह साल में किसानों के बीच योजना की स्वीकार्यता बढ़ी है, वर्ष 2016 में योजना शुरू होने के बाद से गैर-कर्जदार किसानों, सीमांत किसानों और छोटे किसानों की हिस्सेदारी में 282 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।’’
यह योजना बीमा जोखिम आकलन/बोली प्रीमियम दरों पर लागू की जा रही है। हालांकि, छोटे किसानों सहित बाकी किसानों को खरीफ के लिए अधिकतम दो प्रतिशत, रबी खाद्य और तिलहनी फसलों के लिए 1.5 प्रतिशत और वाणिज्यिक/बागवानी फसलों के लिए पांच प्रतिशत का भुगतान करना पड़ता है।
इन सीमाओं से अधिक प्रीमियम की राशि का बोझ पूर्वोत्तर राज्यों को छोड़कर केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा 50:50 के अनुपात में साझा किया जाता है। पूर्वोत्तर क्षेत्र में केंद्र और राज्य सरकारों के बीच यह यह साझेदारी खरीफ 2020 से 90:10 है।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)