RG Kar Case: बंगाल में कनिष्ठ चिकित्सकों का आमरण अनशन 14वें दिन भी जारी

पश्चिम बंगाल में आर जी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में महिला चिकित्सक के साथ कथित दुष्कर्म और उसकी हत्या के मामले में पीड़ित को न्याय दिलाने तथा कार्यस्थल पर सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग को लेकर कनिष्ठ चिकित्सकों का आमरण अनशन शुक्रवार को 14वें दिन भी जारी है.

RG Kar Case: बंगाल में कनिष्ठ चिकित्सकों का आमरण अनशन 14वें दिन भी जारी

कोलकाता, 18 अक्टूबर : पश्चिम बंगाल में आर जी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में महिला चिकित्सक के साथ कथित दुष्कर्म और उसकी हत्या के मामले में पीड़ित को न्याय दिलाने तथा कार्यस्थल पर सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग को लेकर कनिष्ठ चिकित्सकों का आमरण अनशन शुक्रवार को 14वें दिन भी जारी है. यहां एक प्रदर्शनकारी चिकित्सक ने बताया कि अब तक छह अनशनकारी कनिष्ठ चिकित्सकों का स्वास्थ्य बिगड़ने के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है. उन्होंने बताया कि कोलकाता के मध्य में स्थित एस्प्लेनेड में धरना स्थल पर वर्तमान में आठ चिकित्सक अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर हैं. प्रदर्शनकारी चिकित्सक मृतक महिला चिकित्सक के लिए न्याय और राज्य के स्वास्थ्य सचिव एन. एस. निगम को तत्काल पद से हटाने की मांग कर रहे हैं.

प्रदर्शनकारी चिकित्सकों ने कहा कि सरकार ने उनकी 10 सूत्री मांगों पर अब कोई ठोस कदम नहीं उठाया है. दुष्कर्म और हत्या की शिकार हुई महिला चिकित्सक को न्याय दिलाने के अलावा उनकी अन्य मांगों में राज्य के सभी अस्पतालों एवं चिकित्सा महाविद्यालयों के लिए केंद्रीकृत रेफरल प्रणाली की स्थापना करना, बिस्तर रिक्ति निगरानी प्रणाली का कार्यान्वयन और कार्यस्थलों पर सीसीटीवी कैमरे लगाना, ‘ऑन-कॉल रूम’ तथा शौचालय आदि के लिए आवश्यक प्रावधान सुनिश्चित करने के वास्ते कार्यबल का गठन शामिल हैं. यह भी पढ़ें : Jharkhand: एनडीए में सीट शेयरिंग पर बनी सहमति, जानिए भाजपा कितने सीटों पर लड़ेगी चुनाव

आंदोलनकारी कनिष्ठ चिकित्सक अस्पतालों में पुलिस सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने, स्थायी महिला पुलिस कर्मियों की भर्ती करने और चिकित्सकों, नर्स तथा अन्य स्वास्थ्य कर्मियों के रिक्त पदों को शीघ्र भरने की भी मांग कर रहे हैं. आर जी कर अस्पताल में नौ अगस्त को महिला चिकित्सक के साथ कथित दुष्कर्म और उसकी हत्या के बाद, घटना के विरोध में कनिष्ठ चिकित्सकों ने ‘काम बंद’ कर दिया था. राज्य सरकार द्वारा उनकी मांगों पर विचार करने का आश्वासन मिलने पर उन्होंने 42 दिनों के बाद 21 सितंबर को अपना आंदोलन समाप्त कर दिया था.


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