मुंबई, सात दिसंबर भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष (2022-23) के लिए देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया। इससे पहले रिजर्व बैंक ने वृद्धि दर सात प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था।
केंद्रीय बैंक ने तनावपूर्ण भू-राजनीतिक परिवेश और वैश्विक वित्तीय हालात सख्त होने के चलते वृद्धि अनुमान को घटाया।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए कहा कि वृद्धि दर के अनुमान में कमी के बावूजद भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा।
उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है और वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुस्ती के बीच इसे उम्मीद की किरण के रूप में देखा जा रहा है।
दास ने कहा, ''वृद्धि संभावनाओं की राह में सबसे बड़े जोखिम दीर्घकालिक भू-राजनीतिक तनाव, वैश्विक मंदी और वैश्विक वित्तीय स्थितियों में सख्ती से पैदा होने वाले प्रतिकूल हालात के रूप में हैं।''
इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए आरबीआई ने 2022-23 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया। तीसरी तिमाही में वृद्धि दर 4.4 प्रतिशत और चौथी तिमाही में वृद्धि दर 4.2 प्रतिशत रहने की संभावना है।
सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 2023-24 की अप्रैल-जून अवधि में 7.1 प्रतिशत और इसके अगली तिमाही के लिए 5.9 प्रतिशत रह सकती है।
उन्होंने कहा कि रबी की बुवाई में अच्छी प्रगति, शहरी मांग के बने रहने, ग्रामीण मांग में सुधार, विनिर्माण में तेजी, सेवाओं में सुधार और मजबूत ऋण वृद्धि से अर्थव्यवस्था को समर्थन मिला है।
उन्होंने कहा कि सकल मुद्रास्फीति साल के बाकी हिस्सों और अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कम हो सकती है, हालांकि यह संतोषजनक स्तर से ऊपर रह सकती है।
उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक ने सितंबर में भी वृद्धि दर का अनुमान घटाया था।
वहीं विश्व बैंक ने मंगलवार को चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की वृद्धि दर के अनुमान को 6.5 से बढ़ाकर 6.9 प्रतिशत कर दिया है।
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