प्रयागराज, 19 नवंबर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पुलिस हिरासत में नाइजीरिया के दो नागरिकों की रिहाई की मांग वाली बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर गौतम बुद्ध नगर के अपर पुलिस आयुक्त को निजी हलफनामा दाखिल करने का मंगलवार को निर्देश दिया।
अदालत ने विदेश मंत्रालय के संबंधित अधिकारी को भी सुनवाई की अगली तिथि तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया ।
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राज्य सरकार के वकील ने अदालत को बताया कि एसीपी मुख्यालय, गौतम बुद्ध नगर से प्राप्त सूचना के मुताबिक, इन दोनों नाइजीरियाई नागरिकों का वीजा करीब नौ साल पहले समाप्त हो गया था और ये भारत में अवैध रूप से रह रहे थे, इसलिए पुलिस ने इन्हें गिरफ्तार किया।
चिनासा विक्टर ओबिओहा और चीमा पॉल उगोचुकवू ने अपनी-अपनी पत्नी के जरिए यह बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की जिस पर न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति समित गोपाल की पीठ ने सुनवाई की और सुनवाई की अगली तारीख 24 नवंबर तय की।
इससे पूर्व, याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि उन्हें गैर कानूनी रूप से 24 सितंबर, 2019 से ग्रेटर नोएडा की सूरजपुर पुलिस लाइन के 49 बटालियन में बंदी बनाकर रखा गया है और याचिका दायर किए जाने तक उन्हें किसी भी अदालत में पेश नहीं किया गया और ना ही उनके किसी रिश्तेदार या उनके अधिवक्ता को हिरासत में रखने का कारण बताया गया है।
राज्य सरकार के वकील ने अदालत को बताया कि विदेश मंत्रालय को इस मामले की प्रक्रिया सेसंबंधित अनुरोध पत्र भेजे गए और इसके जवाब में मंत्रालय ने 23 जुलाई, 2020 को इस संबंध में नाइजीरियाई दूतावास को एक पत्र भेजा। इन याचिकाकर्ताओं को शिविर में सभी आवश्यक सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं।
इस पर अदालत ने संबंधित अधिकारियों को इस मामले में सभी तथ्यों से अवगत कराते हुए एक हलफनामा दाखिल करने को कहा।
अदालत ने कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अपनी अवैध हिरासत को चुनौती देने के लिए इस अदालत में आने वाले याचिकाकर्ताओं ने यह तथ्य छिपाया कि उनका वीजा पहले ही खत्म हो चुका है और वे करीब नौ साल तक बगैर वीजा के इस देश में रहे और इसी वजह से उन्हें पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया।”
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