प्रयागराज, तीन दिसंबर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में छात्रसंघ चुनाव कराने का निर्देश देने का अनुरोध करने वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए विश्वविद्यालय के अधिकारियों से जवाब दाखिल करने को कहा।
कैफ हसन नाम के एक विद्यार्थी द्वारा दायर इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि एएमयू के अधिकारी 2019 से छात्रसंघ चुनाव कराने में विफल रहे हैं और यह विद्यार्थियों के अधिकारों और लोकतांत्रिक सिद्धांतों का हनन है।
इससे पूर्व, अदालत ने 18 नवंबर को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अधिवक्ता को उक्त जनहित याचिका में उठाए मुद्दे के संबंध में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। लेकिन, 29 नवंबर, 2024 को जब इस मामले में सुनवाई शुरू हुई तो अदालत ने पाया कि विश्वविद्यालय द्वारा उपलब्ध कराए गए जवाब से उद्देश्य हल नहीं हो रहा।
मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की पीठ ने कहा, इस अदालत द्वारा पारित आदेश के अनुपालन में विश्वविद्यालय की ओर से दिए गए जवाब में संकेत दिया गया है कि संस्थान उचित समय पर चुनाव कराएगा। हालांकि, इस जवाब में उन मुद्दों के बारे में नहीं बताया गया जो इस याचिका में उठाए गए हैं।
इसके आलोक में, अदालत ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अधिकारियों को अगली तारीख तक जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया और इस मामले की अगली सुनवाई की तिथि नौ जनवरी, 2025 तय की।
याचिका में दलील दी गई है कि एएमयू अधिनियम, 1920 और लिंगदोह समिति की सिफारिशों के मुताबिक, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय निर्धारित समय सीमा के भीतर प्रतिवर्ष छात्रसंघ चुनाव करने को बाध्य है। उल्लेखनीय है कि विश्वविद्यालय ने पिछले छह वर्षों से छात्रसंघ चुनाव नहीं कराए हैं।
याचिका में यह भी कहा गया है कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को यूजीसी से अनुदान में भारी रकम मिली है जिसमें छात्रसंघ चुनाव के लिए भी धन शामिल है। हालांकि, इसका उचित ढंग से उपयोग नहीं किया गया है।
याचिका में आगे कहा गया है कि विद्यार्थियों ने संबंधित अधिकारियों के समक्ष प्रतिवेदन दिए हैं, लेकिन अभी तक संबंधित अधिकारियों द्वारा कोई महत्वपूर्ण जवाब नहीं दिया गया है।
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