जरुरी जानकारी | कोविड-19 की चुनौतियों के बीच रिलायंस- बीपी की जुगलबंदी में गहरे समुद्र में दो गैस फील्ड हुए चालू

नयी दिल्ली, 23 मई बंगाल की खाड़ी में दो गहरे समुद्री गैस क्षेत्रों के हाल में ही सम्पन्न विकास और उनमें उत्पादन शुरू करने का जटिल काम रिलायंस और उसकी भागीदार बीपी के जीवट भरे प्रयास की कहानी है।

यह कामयाबी इस दृष्टि से उल्लेखनीय है कि बंगाल की खाड़ी में मौसम के हिसाब से साल में केवल चार माह काम करने का मौका मिलता है। इस बीच कोरोना वायरस महामारी से जुड़ी पाबंदियों के कारण परियोजना स्थल तक सामान और मानव संसाधन पहुंचाने में अड़चनें आती रहीं।

परियोजना को उसके मुकाम तक पहुंचाने के लिये कई मौकों पर एक साथ 4,000 लोग काम पर लगे रहने।

रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और उसकी संयुकत उद्यम भागीदार बीपी कृष्णा गोदावरी स्थित केजी-डी6 ब्लाक में तीन गहरे समुद्र स्थित क्षेत्रों को विकसित करने का काम 2017 में शुरू किया था। वहां 3,000 अरब घनफुट गैस मिलने का अनुमान है। क्षेत्र पर कुल मिलाकर 35,000 करोड़ रुपये का निवेश होना अनुमानित है।

रिलायंस इंडस्ट्रीज के एक अधिकारी ने कहा कि गहरे समुद्र की इस तरह की जटिल परियोजना पूरा करने के लिये 34 देशों में टीमें काम कर रही थी। परियोजना स्थल पर भी कभी कभी एक साथ 4,000 लोग की टीम काम पर लगी होती थी।

तमाम तरह की चुनौतियों के बावजूद संयुक्त उद्यम कंनी ने तीन में से दो गहरे समुद्र स्थित गैस क्षेत्रों को शुरू कर दिया। इन क्षेत्रों को आर-कलस्टर क्षेत्र कहा गया है।

देश का पहला गहरे समुद्र वाला यह गैस क्षेत्र। एशिया का सबसे गहरा अपतटीय गैस क्षेत्र है। इसे दिसंबर 2020 में शुरू कर दिया गया। उसके बाद आसपास के क्लस्टर को इस साल अप्रैल तक तैयार कर लिया गया।

अधिकारी ने कहा , ‘‘वर्तमान में ये क्षेत्र देश में कुल गैस उत्पादन में 20 प्रतिशत योगदान कर रहे हैं।’’

गहरे समुद्र स्थित तीसरा क्षेत्र - केजी डी6 एमजे के 2022 की आखिरी तिमाही में चालू किये जाने की उम्मीद है। अधिकारी ने कहा कि मार्च 2020 तक आर- क्लस्टर स्थित क्षेत्रों को विकसित करने का काम समय के मुताबिक चल रहा था और 2020 मध्य तक इनके चालू हो जाने का अनुमान था, लेकिन महामारी के कारण सब कुछ बदल गया और दुनियाभर में सभी परियोजनाओं पर काम प्रभावित होने लगा।

रिलायंस अब 2023 तक रोजाना तीन करोड घनमीटर गैस उत्पादन की दिशा में अग्रसर है। इससे देश की कुल गैस की कुल मांग का पाचवां हिस्सा पूरा हो सकेगा।

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