देश की खबरें | ‘दीर्घकालिक बीमारियों के लिए नियमित औषधि आपूर्ति से महामारी के दौरान स्थिति से निपटने में मदद मिली’
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नयी दिल्ली, 27 फरवरी उच्च रक्तचाप जैसी दीर्घकालिक बीमारियों के लिए मरीजों को दवाओं की नियमित आपूर्ति से भारत को कोविड महामारी के दौरान स्थिति से बेहतर तरीके से निपटने में मदद मिली। यह बात सरकारी अधिकारियों और सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कही।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) से नीति और सिफारिशें जारी करने के लिए ‘फैमिली प्लानिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया’ (एफपीएआई) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में, स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने ऐसे समाधानों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर बल दिया जिससे स्वास्थ्य सेवाओं को अंतिम छोर तक पहुंचाने में सुधार किया जा सके।
वर्ष 2020 की शुरुआत में कोविड-19 महामारी आने के तुरंत बाद गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) से पीड़ित लोगों की सुरक्षा के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को एक पत्र भेजकर सलाह दी कि उच्च रक्तचाप, मधुमेह, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज और मानसिक स्वास्थ्य से पीड़ित रोगियों को पर्चे पर आशा या स्वास्थ्य उप-केंद्रों के माध्यम से तीन महीने तक दवाओं की नियमित आपूर्ति मिलेगी।
स्वास्थ्य मंत्रालय में स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के उपमहानिदेशक डॉक्टर सुदर्शन मंडल ने कहा कि यह समय पर उठाया गया एक कदम था जिसने कई लोगों की जान बचाई। उन्होंने कहा, ‘‘यह प्रासंगिक बना हुआ है और यह सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीति हो सकती है कि अधिक लोग अपने रक्तचाप को नियंत्रण में रख सकें।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जब सभी एनसीडी को देखभाल और उपचार की निरंतरता की आवश्यकता होती है, उच्च रक्तचाप और मधुमेह पर ध्यान केंद्रित करना गंभीर रूप से महत्वपूर्ण हो जाता है। 22 करोड़ उच्च रक्तचाप रोगियों, आठ करोड़ से अधिक मधुमेह रोगियों और अन्य एनसीडी रोगियों के लिए, यह स्वास्थ्य सेवा वितरण में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है।’’
सामुदायिक चिकित्सा विभाग, आयुर्विज्ञान संस्थान, काशी हिंदू विश्वविद्यालय ने प्रोजेक्ट आरईएसीएच-एचटीएन के तहत जीआरआईडी परिषद के साथ मिलकर सरकार के मार्गदर्शन के अनुसार विस्तारित दिनों के लिए रक्तचाप की दवा उपलब्ध कराने की सफलता का आकलन करने के वास्ते चार राज्यों में एक विश्लेषण किया।
बीएचयू के सामुदायिक चिकित्सा विभाग में प्रोफेसर और परियोजना की प्रमुख अन्वेषक डॉक्टर संगीता कंसल ने कहा, ‘‘सरकारी आदेश उन लोगों के लिए समग्र रूप से फायदेमंद रहा है जो अपने इलाज के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों पर निर्भर हैं, खासकर ग्रामीण भारत में।’’
बीएचयू के विश्लेषण से पता चला है कि दिसंबर 2020 तक अधिकतर राज्यों ने सापेक्ष सफलता के साथ उच्च रक्तचाप की दवाएं उपलब्ध करा दी थीं।
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