वाशिंगटन, नौ नवंबर राष्ट्रपति जो बाइडन नीत अमेरिकी सरकार का कहना है कि वह रूस से दूरी बनाने के दौरान भारत के साथ मिलकर काम करने को प्रतिबद्ध है। व्हाइट हाउस ने यह जानकारी दी।
व्हाइट हाउस के अनुसार, ऐसे कई देश हैं जिन्होंने इस कठिन तथ्य को पहचान लिया है कि रूस ऊर्जा या सुरक्षा क्षेत्र में विश्वसनीय स्रोत नहीं है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने मंगलवार को दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जब रूस के साथ भारत के संबंधों की बात आती है, तो अमेरिका ने लगातार यह स्पष्ट किया है कि यह एक ऐसा रिश्ता है, जो कई दशकों में विकसित और मजबूत हुआ है। और वास्तव में यह शीत युद्ध के दौरान बना और मजूबत हुआ जब अमेरिका, भारत के लिए आर्थिक, सुरक्षा व सैन्य भागीदार बनने की स्थिति में नहीं था।
उन्होंने कहा, ‘‘अब परिस्थितियां बदल गई हैं। पिछले 25 साल में इसमें बदलाव आया है। यह वास्तव में एक विरासत है, एक द्विपक्षीय विरासत, जिसे इस देश ने पिछले 25 साल में हासिल किया है। वास्तव में राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू. बुश के प्रशासन ने सबसे पहले इसकी शुरुआत की थी।’’
प्राइस ने कहा कि अमेरिका ने आर्थिक, सुरक्षा और सैन्य सहयोग समेत हर क्षेत्र में भारत के साथ अपनी साझेदारी को गहरा करने की कोशिश की है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह एक ऐसा बदलाव है जिस पर हम हमेशा से स्पष्ट रहे हैं, यह रातों-रात नहीं हो सकता यहां तक कि कुछ महीनों या शायद कुछ वर्षों में भी संभव नहीं है। भारत एक बड़ा देश है, एक विशाल देश है, एक बड़ी अर्थव्यवस्था है जिसकी कई जरूरते हैं।’’
प्राइस ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘इसलिए, भारत से जिस बदलाव व पुनर्व्यवस्था की उम्मीद करते हैं, उसको लेकर मौजूदा प्रशासन भारत के साथ काम करने को लेकर प्रतिबद्ध है। यह न केवल मौजूदा प्रशासन के लिए बल्कि आने वाली सरकारों के लिए भी महत्वपूर्ण होगा।’’
भारत द्वारा रूस से तेल की खरीदी पर किए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अमेरिका ने तेल और गैस, ऊर्जा क्षेत्र को लेकर रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों में छूट सोच-समझकर दी है।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत में ऊर्जा की अत्यधिक मांग है वह रूस से तेल और ऊर्जा के अन्य स्रोत हासिल करता है यह कोई ऐसी चीज नहीं है जो लगाए गए प्रतिबंधों के विरुद्ध हो।’’
प्राइस ने कहा कि अमेरिका पहले भी स्पष्ट कर चुका है कि अब रूस के साथ हमेशा की तरह व्यापार करने का समय नहीं है और यह दुनिया भर के देशों पर निर्भर करता है कि वे रूस के साथ उन आर्थिक संबंधों को कम करने के लिए क्या कर सकते हैं। यह कुछ ऐसा है जो सामूहिक हित में है, लेकिन यह दुनिया भर के देशों के द्विपक्षीय हित के लिए भी जरूरी है कि समय के साथ-साथ रूसी ऊर्जा पर अपनी निर्भरता में कमी करना सुनिश्चित करें।
उन्होंने कहा, ‘‘ ऐसे कई देश हैं जिन्होंने इस कठिन तथ्य को पहचान लिया है कि रूस ऊर्जा के क्षेत्र में विश्वसनीय स्रोत नहीं है। रूस सुरक्षा संबंधी क्षेत्र में विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता नहीं है। रूस पर किसी भी क्षेत्र में भरोसा नहीं किया जा सकता।’’
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