नयी दिल्ली, 30 नवंबर राज्यसभा में ‘‘अशोभनीय आचरण’’ के कारण सोमवार को शीतकालीन सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित किए गए 12 विपक्षी सदस्यों के निलंबन को वापस लेने के मुद्दे पर आज सरकार ने विपक्ष के नेताओं से बातचीत करने और विपक्ष की उपस्थिति के बिना सदन में कोई विधायी कामकाज कल तक नहीं किये जाने का प्रस्ताव रखा। इसके बाद उच्च सदन की कार्रवाई मंगलवार को दोपहर करीब सवा दो बजे पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गयी।
उच्च सदन में आज कार्यवाही शुरू होने पर सभापति एम वेंकैया नायडू ने बार सदस्यों के निलंबन को लेकर एक बयान दिया था। उन्होंने बयान के अंत में कहा था कि यदि निलंबित सदस्यों को अपनी गलती का एहसास हो तो नेता प्रतिपक्ष और सदन के नेता आपस में चर्चा कर सकते हैं और विपक्ष के प्रस्ताव पर विचार किया जा सकता है।
इसके बाद उच्च सदन में शून्यकाल और प्रश्नकाल सामान्य ढंग से हुआ।
भोजनावकाश के बाद सदन के नेता पीयूष गोयल ने 12 विपक्षी सदस्यों के निलंबन से जुड़े घटनाक्रम पर एक लंबा बयान दिया। किंतु उन्होंने यह भी कहा कि वह सभापति द्वारा दिये गये सुझाव के आधार पर इन सदस्यों के निलंबन को वापस लेने के मामले में विपक्ष के नेताओं से बात करने को तैयार हैं।
इसके बाद उपसभापति हरिवंश ने जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को बांध सुरक्षा विधेयक को चर्चा एवं पारित करवाने के लिए सदन में रखने को कहा तो संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने आसन से अनुरोध किया कि वह इस विधेयक पर चर्चा को कल तक के लिए टाल दें।
जोशी ने कहा कि सरकार नहीं चाहती कि बांध की सुरक्षा से जुड़े इस महत्वपूर्ण विधेयक को विपक्ष के सकारात्मक सुझावों के बिना पारित किया जाए। उन्होंने कहा कि कल तक विपक्ष के नेताओं से बातचीत कर 12 विपक्षी सदस्यों के निलंबन को वापस लेने के मुद्दे पर कोई सहमति बनाने का प्रयास किया जाएगा।
इसके बाद उपसभापति हरिवंश ने बैठक को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया।
सोमवार को आरंभ हुए संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन, कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के 12 सदस्यों को पिछले मानसून सत्र के दौरान ‘‘अशोभनीय आचरण’’ करने के लिए, वर्तमान सत्र की शेष अवधि के लिए राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया था।
उपसभापति हरिवंश की अनुमति से संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इस सिलसिले में एक प्रस्ताव रखा जिसे विपक्षी दलों के हंगामे के बीच सदन ने मंजूरी दे दी।
जिन सदस्यों को निलंबित किया गया है उनमें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के इलामारम करीम, कांग्रेस की फूलों देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रताप सिंह, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन और शांता छेत्री, शिव सेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई तथा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विस्वम शामिल हैं।
इन सदस्यों पर आरोप है कि मानसून सत्र में राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान इन्होंने अमर्यादित आचरण एवं मार्शलों के साथ धक्का-मुक्की की थी।
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