ताजा खबरें | राज्यसभा में विपक्ष के हंगामे के कारण गतिरोध कायम, कार्यवाही दोपहर तीन बजे तक स्थगित

नयी दिल्ली, 28 जुलाई विभिन्न मुद्दों पर सत्ता पक्ष और विपक्षी सदस्यों के हंगामे की वजह से बृहस्पतिवार को राज्यसभा की कार्यवाही दो बार के स्थगन के बाद दोपहर तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।

दो बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे जब सदन की बैठक फिर शुरू हुई तो विपक्ष के कई सदस्य नारेबाजी करते हुए आसन के समक्ष आ गये। पीठासीन उपाध्यक्ष तिरूचि शिवा ने इन सदस्यों को नारेबाजी नहीं करने और उनके स्थानों पर वापस जाने को कहा।

शिवा ने आप सदस्य सुशील कुमार गुप्ता एवं संदीप पाठक तथा निर्दलीय अजीत कुमार भुइयां से सदन से बाहर चले जाने को कहा। किंतु उनकी अपील को कोई असर नहीं पड़ा।

इस बीच सत्ता पक्ष के कई सदस्यों को भी उनके स्थानों पर खड़े देखा गया।

सदन में लगातार हो रहे हंगामे के कारण पीठासीन उपाध्यक्ष ने महज पांच मिनट के भीतर बैठक को अपराह्न तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।

इससे पहले पूर्वाह्न 11 बजे सदन की कार्यवाही आरंभ होते ही सभापति एम वेंकैया नायडू ने आवश्यक दस्तावेज पटल पर रखवाए। इसके बाद उन्होंने कहा कि स्पष्ट निर्देशों और चेतावनी के बावजूद कुछ सदस्य सदन की कार्यवाही रिकार्ड कर रहे हैं और उसे दूसरों को दे रहे हैं।

उन्होंने कहा कि इस प्रकार के कार्य प्रतिबंधित हैं और ऐसा करते कोई दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।

इसी बीच, कुछ विपक्षी सदस्य आसन के निकट आकर हंगामा करने लगे।

नायडू ने ऐसे सदस्यों को आगाह किया कि वे सदन में ‘‘तख्तियां’’ लेकर ना आएं नहीं तो उनके खिलाफ कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा कि तख्तियां सदन में दिखाने वाले सदस्यों के नाम बुलेटिन में डाले जाएंगे।

हंगामे के बीच ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लोकसभा में कांग्रेस के नेता द्वारा ‘‘राष्ट्रपत्नी’’ कह कर संबोधित करने का मुद्दा उठाया और कांग्रेस से इसके लिए माफी मांगने को कहा।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के लिए ऐसी टिप्पणी, राष्ट्रपति के साथ ही महिलाओं का भी अपमान है।

सीतारमण ने कहा कि ऐसा नहीं है कि यह शब्द गलती से कांग्रेस नेता के मुंह से निकल गया। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस नेता ने जानबूझकर ऐसा किया है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह राष्ट्रपति का अपमान है। यह अस्वीकार्य है। कांग्रेस और उसकी अध्यक्ष इसके लिए माफी मांगें।’’

सत्ताधारी दल के सदस्यों ने सीतारमण की मांग का समर्थन किया। वहीं दूसरी ओर विपक्षी दलों के सदस्यों ने निलंबित सदस्यों का निलंबन वापस लिए जाने और महंगाई तथा कुछ वस्तुओं को माल एवं सेवा कर(जीएसटी) के दायरे में लिए जाने का मुद्दा उठाते हुए हंगामा शुरू कर दिया।

सदन में व्यवस्था बनते न देख सभापति ने कार्यवाही 11 बजकर 10 मिनट पर दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

एक बार के स्थगन के बाद दोपहर 12 बजे उच्च सदन की बैठक शुरू होने पर सदन के नेता पीयूष गोयल ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के बारे में लोकसभा में कांग्रेस नेता की विवादित टिप्पणी का जिक्र किया और उसे अस्वीकार्य बताया।

इसी दौरान विपक्ष के कुछ सदस्य अपनी मांगों के समर्थन में आसन के समीप आकर नारेबाजी करने लगे। उधर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के सदस्य राष्ट्रपति के संबंध में कांग्रेस नेता की टिप्पणी पर विरोध जता रहे थे।

गोयल ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने राष्ट्रपति पद के साथ ही देश की हर महिला, हर आदिवासी और इस सदन का अपमान किया है। उन्होंने मांग की कि इस मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को माफी मांगनी चाहिए।

सदन में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि यह मामला लोकसभा के एक सदस्य से संबंधित है और इसलिए यहां नहीं उठाया जा सकता।

इस पर उपसभापति हरिवंश ने कुछ कहा लेकिन सदन में हो रहे शोरगुल के कारण उनकी बात ठीक से सुनी नहीं जा सकी।

इसके बाद संसदीय कार्य राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने नियम 256 के तहत विपक्ष के तीन सदस्यों सुशील कुमार गुप्ता और संदीप पाठक (दोनों आम आदमी पार्टी) तथा अजीत कुमार भुइयां (निर्दलीय) को सदन में अशोभनीय आचरण के लिए मौजूदा सप्ताह के शेष समय के लिए निलंबित करने का प्रस्ताव किया।

सदन ने उनके इस प्रस्ताव को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। विपक्षी सदस्यों ने इस प्रस्ताव पर मत-विभाजन कराने की मांग की। इस पर हरिवंश ने कहा कि पहले हंगामा कर रहे सदस्य अपनी सीट पर जाएं, फिर वह मत-विभाजन की अनुमति देंगे। लेकिन आसन के समीप आए सदस्य वहीं नारेबाजी करते रहे।

सदन में व्यवस्था नहीं बनते देख उपसभापति ने 12:05 बजे बैठक दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

माधव

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)