नयी दिल्ली, 20 जुलाई मणिपुर में करीब दो महीने से जारी जातीय हिंसा पर कार्य स्थगन प्रस्ताव के तहत चर्चा कराने की मांग को लेकर कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित विभिन्न विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण बृहस्पतिवार को राज्यसभा की कार्यवाही बाधित रही तथा बैठक को दो बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजकर आठ मिनट पर पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया।
मानसून सत्र के पहले दिन आज जैसे ही सुबह 11 बजे राज्यसभा की कार्यवाही आरंभ हुई तो सबसे पहले दिवंगत सदस्यों को श्रद्धांजलि दी गई और फिर दोपहर 12 बजे तक के लिए कार्यवाही स्थगित कर दी गई।
सभापति जगदीप धनखड़ ने उच्च सदन के मौजूदा सदस्य हरद्वार दुबे और तीन पूर्व सदस्यों दावा लामा, ऊषा मल्होत्रा और एस रामचंद्र रेड्डी के निधन का उल्लेख किया। इसके बाद सदस्यों ने दिवंगत वर्तमान एवं पूर्व सदस्यों के सम्मान में कुछ पलों का मौन रखा। तत्पश्चात धनखड़ ने कहा कि दिवंगत सदस्यों के सम्मान में सदन की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित की जाती है।
दोपहर 12 बजे दोबारा सदन की बैठक आरंभ होने पर सभापति ने बताया कि विभिन्न मुद्दों पर अल्पकालिक चर्चा के लिए नियम 176 के तहत उन्हें 12 नोटिस मिले हैं और इनमें से आठ नोटिस मणिपुर हिंसा से संबंधित हैं।
इसी दौरान सदन के नेता पीयूष गोयल ने कहा कि सरकार मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर चर्चा को तैयार है। उन्होंने कहा, ‘‘इस नोटिस को स्वीकार करने में कोई दिक्कत नहीं है।’’
इस पर धनखड़ ने कहा कि चूंकि सरकार ने आगे आकर मणिपुर मुद्दे पर चर्चा कराने के लिए सहमति जताई है इसलिए चर्चा कराई जा सकती है।
कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों ने इस दौरान हंगामा आरंभ कर दिया और नियम 176 के तहत चर्चा कराए जाने पर आपत्ति जताई।
तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ’ब्रायन ने कहा कि सदस्यों ने नियम 267 के तहत भी इस मुद्दे पर चर्चा कराने के लिए नोटिस दिए हैं।
विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि कांग्रेस के सदस्यों ने नियम 267 के तहत नोटिस दिए हैं, जिसमें सारे कामकाज स्थगित कर चर्चा कराने का प्रावधान है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री (नरेन्द्र मोदी) को सदन में आना चाहिए और इस मुद्दे पर बयान देना चाहिए और फिर चर्चा की जानी चाहिए।
इस पर सभापति ने कहा कि कार्यसूची में नियम 267 के तहत मिले नोटिस अगले विषय हैं।
इसी दौरान ओ’ब्रायन ने व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए कहा कि नियम पुस्तिका में नियम 267 बिल्कुल स्पष्ट है जो कहता है कि जब तक इसके तहत उठाए गए मुद्दे पर चर्चा नहीं होती है, तब तक दूसरे किसी अन्य विषय को नहीं स्वीकार किया जा सकता।
उन्होंने नियम 267 के तहत मणिपुर मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग पर बल दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री को सदन में आकर अपना मुंह खोलना होगा... मणिपुर, मणिपुर, मणिपुर। कहां हैं, देश के प्रधानमंत्री... सदन में आएं और मणिपुर पर बोलें।’’
इसी दौरान विपक्षी सदस्यों ने अपने अपने स्थान पर खड़े होकर हंगामा शुरू कर दिया। हंगामे के बीच, धनखड़ ने सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजकर 12 मिनट पर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
दोपहर दो बजे बैठक फिर शुरू होने पर सभापति धनखड़ ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए। इसी बीच विपक्ष के कई सदस्यों ने मणिपुर के मुद्दे पर कार्य स्थगन प्रस्ताव के तहत चर्चा कराये जाने की मांग को लेकर हंगामा शुरू कर दिया।
हंगामे के बीच ही सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने सिनेमेटोग्राफ (संशोधन) विधेयक 2019 को वापस लिये जाने का प्रस्ताव रखा जिसे सदन ने ध्वनिमत से पारित कर दिया। इसके बाद ठाकुर ने सिनेमेटोग्राफ (संशोधन) विधेयक 2023 पेश किया।
इसके बाद सभापति ने नेता प्रतिपक्ष खरगे को उनकी बात रखने की अनुमति दी। खरगे ने कहा, ‘‘मैं अपना हाथ उठा रहा हूं किंतु मुझे नियम 267 के तहत बोलने का अवसर नहीं दिया जा रहा है।’’
खरगे ने कहा कि उन्होंने मणिपुर हिंसा पर नियम 267 के तहत चर्चा कराने के लिए सुबह नौ बजे ही सचिवालय के पास अपना नोटिस भिजवा दिया था ताकि बाद में यह न कहा जा सके कि उनका नोटिस समय पर नहीं मिल पाया है।
उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उन्हें नियम 267 के तहत उनकी बात कहने का अवसर नहीं दिया जा रहा है। खरगे ने कहा, ‘‘मणिपुर जल रहा है, महिलाओं के साथ बलात्कार हो रहे हैं, उन्हें निर्वस्त्र घुमाया जा रहा है... और प्रधानमंत्री चुप बैठे हैं। वह (सदन के) बाहर बयान दे रहे हैं।’’
इसके बाद विपक्षी सदस्यों ने मणिपुर मुद्दे पर चर्चा कराये जाने की मांग को लेकर हंगामा शुरू कर दिया। सभापति ने सदस्यों से सदन में व्यवस्था बनाये रखने की अपील की। किंतु इस अपील का कोई असर न होते देख उन्होंने बैठक को शुक्रवार पूर्वाह्न 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।
गौरतलब है कि मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड कराने की कथित घटना का वीडियो बुधवार को सामने आने के बाद राज्य के पहाड़ी क्षेत्र में तनाव व्याप्त हो गया। चार मई के इस वीडियो में दिख रहा है कि कुछ व्यक्ति एक समुदाय की दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमा रहे हैं।
‘इंडिजीनियस ट्राइबल लीडर्स फोरम’ (आईटीएलएफ) के एक प्रवक्ता के मुताबिक, ‘घृणित’ घटना चार मई को कांगपोकपी जिले में हुई है और वीडियो में दिख रहा है कि पुरुष असहाय महिलाओं के साथ लगातार छेड़छाड़ कर रहे हैं और वे (महिलाएं) रो रही हैं तथा उनसे मिन्नतें कर रही हैं। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
ज्ञात हो कि मणिपुर में करीब दो माह से जातीय हिंसा हो रही है। इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री ने पहली बार, आज कोई टिप्पणी की है।
मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें शुरू हुई थीं। राज्य में तब से अब तक कम से कम 160 लोगों की जान जा चुकी है।
संसद के मानसून सत्र का आज पहला दिन है। इस सत्र का समापन 11 अगस्त को प्रस्तावित है। इस दौरान संसद के दोनों सदनों की कुल 17 बैठक होनी हैं।
माधव ब्रजेन्द्र
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