जयपुर, 19 अप्रैल जयपुर की एक विशेष अदालत ने बच्चों की तस्करी के मामले में दो आरोपियों को 14 साल के कठोर कारावास और 5 लाख 64 हजार रुपये के आर्थिक दंड की सजा सुनाई है।
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम की अदालत की विशिष्ठ न्यायाधीश तारा अग्रवाल ने 16 अप्रैल को आरोपी मोहम्मद कुद्दूस और मोहम्मद यूनुस को 14-14 साल की कठोर कारावास और प्रत्येक अभियुक्त को पांच लाख 64 हजार रुपये के आर्थिक दंड की सजा सुनाई हैं।
मंगलवार को मिले आदेश के अनुसार मुकदमे के दौरान मोहम्मद शमशाद की मौत हो गई और उसके खिलाफ आरोप हटा दिए गए। एक अन्य आरोपी हसमुल मियां को बरी कर दिया गया।
लोक अभियोजक राकेश महर्षि ने बताया कि अदालत ने पाया कि दोनों आरोपियों ने बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन किया और उन्हें बाल श्रम के लिये मजबूर किया। उन्होंने बताया कि बच्चों के प्रति शारीरिक और मानसिक क्रूरता और उन्हें बाल श्रम के लिए मजबूर करना जघन्य अपराध था।
उल्लेखनीय है कि 2018 में बचपन बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ताओं ने पुलिस और मानव तस्करी रोकने की यूनिट के साथ जयपुर के शास्त्रीनगर इलाके में एक मकान मे छापा मारा था। छापे के दौरान 33 नाबालिग बच्चों को बचाया गया था।
बचाए गए बच्चों को बिहार से तस्करी कर लाया गया था और उन्हें बाल श्रम के लिये मजबूर किया गया था।
किशोर न्याय अधिनियम और बाल श्रम अधिनियम की विभिन्न धाराओं और भारतीय दंड संहिता की धारा के तहत चार लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
बचपन बचाओ आंदोलन के निदेशक मनीष शर्मा ने बताया कि इस तरह के जघन्य अपराधों के लिये कठोर सजा ही एकमात्र उपाय है। हमें उम्मीद है कि केन्द्र सरकार संसद के आगामी सत्र में बाल तस्करी विरोधी विधेयक पारित करेगी।
कुंज पृथ्वी
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