देश की खबरें | राजस्थान संकट: बसपा विधायकों के कांग्रेस मे विलय के मामले में मंगलवार को होगी सुनवाई

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि पिछले साल राजस्थान में बसपा के छह विधायकों के कांग्रेस में विलय होने से संबंधित मामले में दायर याचिका पर मंगलवार को सुनवाई होगी।

एनडीआरएफ/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: ANI)

नयी दिल्ली , 10 अगस्त उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि पिछले साल राजस्थान में बसपा के छह विधायकों के कांग्रेस में विलय होने से संबंधित मामले में दायर याचिका पर मंगलवार को सुनवाई होगी।

न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ भाजपा विधायक की याचिका पर छह विधायकों द्वारा अलग से दायर याचिका के साथ कल सुनवाई की जायेगी।

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भाजपा विधायक मदन दिलावर ने राज्य में सत्तारूढ़ दल कांग्रेस में शामिल हुये बसपा के छह विधायकों के कांग्रेस विधायक के रूप में काम करने पर रोक लगाने से इंकार करने के उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी है।

इन छह विधायकों ने अलग से दायर अपनी याचिका में शीर्ष अदालत से अनुरोध किया है कि उच्च न्यायालय में लंबित दिलावर की याचिका वह अपने यहां स्थानांतरित करे। दिलावर ने इस याचिका में बसपा विधायकों को पार्टी व्हिप का कथित उल्लंघन करने के कारण अयोग्य घोषित करने का अनुरोध किया है।

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दिलावर ने उच्च न्यायालय की खंडपीठ के छह अगस्त के आदेश को चुनौती है जिसमें एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ उनकी याचिका का निस्तारण कर दिया गया। एकल न्यायाधीश ने इन छह विधायकों के कांग्रेस विधायक के रूप में काम करने पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था।

शीर्ष अदालत में सोमवार को वीडियो कांफ्रेंस के जरिये सुनवाई के दौरान दिलावर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि विधान सभा अध्यक्ष ने इन विधायकों का कांग्रेस में विलय स्वीकार करते हुये पिछले साल सितंबर में इस मामले में आदेश पारित किया था।

उन्होंने कहा कि बसपा का कहना है कि उनका कभी विलय नहीं हुआ।

यह मामला उच्च न्यायालय की एकल पीठ के समक्ष लंबित होने के तथ्य का जिक्र करते हुये साल्वे ने छह विधायकों की याचिका शीर्ष अदालत में लंबित होने का भी उल्लेख किया।

पीठ ने कहा कि वह दोनों मामलों पर कल सुनवाई करेगी।

उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश ने इस मामले में कोई भी अंतरिम राहत नहीं दी थी और उसने इन छह विधायकों के विधान सभा में कांग्रेस सदस्य के रूप में काम करने पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था।

विधायक संदीप यादव, वाजिब अली, दीपचंद खेरिया, लखन मीना, जोगेन्द्र आवना और राजेन्द्र गुध 2018 के विधान सभा चुनाव में बसपा के टिकट पर चुनाव जीते थे लेकिन सितंबर, 2019 में वे कांग्रेस में शामिल हो गये थे।

इन विधायकों ने पिछले साल 16 सितंबर को अपने विलय के बारे में एक आवेदन किया था और दो दिन बाद विधान सभा अध्यक्ष ने उन्हें कांग्रेस में शामिल होने की अनुमति दे दी थी।

बसपा विधायकों के विलय से राजस्थान में 200 सदस्यों वाली विधान सभा में सत्तारूढ़ अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस के सदस्यों की संख्या बढ़कर 107 हो गयी थी।

इन छह विधायकों ने शीर्ष अदालत में दायर अपनी याचिका में दलील दी है कि 10वीं अनुसूची के तहत अयोग्यता का मुद्दा उठाने वाली इसी तरह की दूसरी याचिकायें उसके समक्ष लंबित हैं, अत:उच्च न्यायालय में उनके खिलाफ दायर याचिकायें भी यहीं स्थानांतरित की जानी चाहिएं।

इन विधायकों की दलील है कि उच्च न्यायालय विशुद्ध रूप से राजनीतिक सवालों में न्यायिक समीक्षा के अधिकार का इस्तेमाल नहीं कर सकता है परंतु वह यह परख सकता है कि क्या ये सवाल संवैधानिक कर्तव्यों या दायित्वों से तो नहीं निकले हैं।

उच्च न्यायालय में भाजपा नेता दिलावर और बसपा के राष्ट्रीय सचिव सतीश मिश्रा ने अलग अलग याचिकायें दायर की हैं।

दिलावर ने कांग्रेस में बसपा विधायकों के विलय को चुनौती देने वाली उनकी याचिका बगैर सुनवाई के ही खारिज किये जाने के विधान सभा अध्यक्ष सी पी जोशी के आदेश पर सवाल उठाये हैं।

दूसरी ओर, मिश्रा ने इन विधायकों के दल बदल को चुनौती दी है लेकिन इन विधायकों ने उनकी याचिका उच्चतम न्यायालय में स्थानांतरित करने का अनुरोध नहीं किया है।

अनूप

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