Sri Lanka Crisis: राष्ट्रपति आवास में मिले 1.78 करोड़ से ज्यादा की रकम, प्रदर्शनकारियों का दावा
श्रीलंका में राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के आधिकारिक आवास पर धावा बोलने वाले सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति के घर के अंदर से 1.78 करोड़ रुपये बरामद करने का दावा किया है.
कोलंबो, 10 जुलाई: श्रीलंका (Sri Lanka) में राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के आधिकारिक आवास पर धावा बोलने वाले सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति के घर के अंदर से 1.78 करोड़ रुपये बरामद करने का दावा किया है. सोशल मीडिया पर आए एक वीडियो में प्रदर्शनकारी बरामद मुद्रा नोट की गिनती करते हुए दिखाई देते हैं. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि उन्हें रविवार को राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास में 1,78,50,000 श्रीलंकाई रुपये मिले. Sri Lanka Crisis Updates: कहां हैं श्रीलंका के राष्ट्रपति राजपक्षे? प्रदर्शनकारियों के कब्जे में हैं उनका आवास.
प्रदर्शनकारियों ने बरामद रकम पुलिस को सौंप दी. सरकार विरोधी सैकड़ों प्रदर्शनकारी अवरोधकों को तोड़ने के बाद शनिवार को मध्य कोलंबो के उच्च सुरक्षा वाले क्षेत्र में स्थित राजपक्षे के आवास में घुस गए थे. प्रदर्शनकारी देश में गंभीर आर्थिक संकट के मद्देनजर राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग कर रहे थे. प्रदर्शनकारियों का एक और समूह प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के निजी आवास में घुस गया और उसमें आग लगा दी थी.
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इस बारे में ज्ञात नहीं है कि राष्ट्रपति अभी कहां हैं. प्रदर्शनकारियों के शहर में घुसने के बाद से उनका एकमात्र संवाद संसद अध्यक्ष महिंदा यापा अभयवर्धने के साथ हुआ, जिन्होंने शनिवार देर रात घोषणा की कि राष्ट्रपति बुधवार को इस्तीफा दे देंगे.
राष्ट्रपति राजपक्षे ने अध्यक्ष को इस्तीफा देने के अपने फैसले के बारे में सूचित किया. अभयवर्धने ने शनिवार शाम को नेताओं की सर्वदलीय बैठक के बाद इस्तीफा मांगने के लिए उन्हें पत्र लिखा था. राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों की अनुपस्थिति में संसद के अध्यक्ष कार्यवाहक राष्ट्रपति होंगे. बाद में, सांसद नए राष्ट्रपति का चुनाव करेंगे.
मई में, राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के बड़े भाई और तत्कालीन प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे को बड़े पैमाने पर सरकार विरोधी प्रदर्शनों के कारण पद छोड़ना पड़ा था. राजपक्षे बंधुओं- महिंदा और गोटबाया को श्रीलंका में कई लोग लिट्टे के खिलाफ गृहयुद्ध जीतने के लिए नायक के रूप में देखते थे, लेकिन अब उन्हें देश के सबसे गंभीर आर्थिक संकट के लिए दोषी ठहराया जा रहा है.
करीब 2.2 करोड़ की आबादी वाला देश पिछले सात दशकों में एक अभूतपूर्व आर्थिक उथल-पुथल का सामना कर रहा है. विदेशी मुद्रा घटने तथा ईंधन समेत जरूरी सामान की किल्लत से देश में संकट और गहरा गया है.
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