ताजा खबरें | मणिपुर हिंसा पर चर्चा को लेकर हंगामे के कारण राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान कार्यवाही बाधित

नयी दिल्ली, 26 जुलाई मणिपुर हिंसा पर कार्यस्थगन प्रस्ताव के तहत चर्चा शुरू कराने की मांग को लेकर बुधवार को भी राज्यसभा में सत्ता पक्ष और विपक्षी सदस्यों के बीच नोकझोंक हुई, जिससे सदन की कार्यवाही बाधित हुई।

सदन में हंगामे के कारण शून्यकाल एवं प्रश्नकाल दोनों बाधित हुए और शून्यकाल में कार्यवाही एक बार स्थगित भी की गई। हालांकि प्रश्नकाल के दौरान कार्यवाही स्थगित नहीं की गई लेकिन कई विपक्षी सदस्यों ने पूरक सवाल पूछने के बदले मणिपुर का मुद्दा उठाने का प्रयास किया।

सदन में हंगामे के बीच सत्ता पक्ष के कुछ सदस्यों ने पूरक सवाल किए और संबंधित मंत्रियों ने उनके जवाब दिए।

प्रश्नकाल में अधिकतर विपक्षी सदस्यों द्वारा पूरक प्रश्न नहीं पूछे जाने पर करीब आधे समय में ही सूचीबद्ध मौखिक प्रश्न पूरे हो जाने के कारण बचे हुए समय में सभापति जगदीप धनखड़ ने सदस्यों को विशेष उल्लेख के जरिए लोक महत्व से जुड़े अपने मुद्दे उठाने की अनुमति दी।

इससे पहले, सुबह जैसे ही सदन की कार्यवाही आरंभ हुई सभापति धनखड़ ने करगिल दिवस का उल्लेख किया और फिर सदस्यों ने कुछ देर मौन रहकर इस युद्ध के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।

इसके बाद धनखड़ ने बताया कि उन्हें नियम 267 के तहत मणिपुर हिंसा पर चर्चा के लिए 42 नोटिस प्राप्त हुए हैं। यह नोटिस देने वाले अधिकतर सदस्य विपक्ष के थे।

धनखड़ ने बताया कि नियम 176 के तहत विभिन्न मुद्दों पर उन्हें तीन नोटिस मिले हैं जबकि पूर्वोत्तर के कुछ सदस्यों ने एक नोटिस के जरिए मणिपुर की स्थिति का हवाला देते हुए नियम 176 के तहत जल्द से जल्द अल्पकालिक चर्चा कराने की मांग की है।

सभापति ने कहा कि उन्होंने मणिपुर हिंसा पर 20 जुलाई को नियम 176 के तहत मिले नोटिस स्वीकार कर लिए हैं और सरकार भी इस पर चर्चा को तैयार है।

उन्होंने कहा कि चूंकि नियम 176 के तहत मणिपुर पर चर्चा पर सहमति बन चुकी है और सरकार भी इसके लिए तैयार है, इसलिए वह नियम 267 के दिए गए नोटिस स्वीकार नहीं कर सकते हैं।

सभापति ने कहा कि नियम 176 के तहत अल्पकालिक चर्चा आरंभ करने के लिए तारीख और समय तय करेंगे।

इसी समय विपक्ष के सदस्यों ने हंगामा और शोरगुल आरंभ कर दिया।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि हंगामे और शोरगुल के दौरान एक सदस्य ने सत्ता पक्ष के सदस्यों के लिए एक विवादित शब्द का इस्तेमाल किया है। उन्होंने आसन से इसे सदन की कार्यवाही से निकालने की मांग की और कहा कि उक्त सदस्य को अपनी टिप्पणी के लिए माफी मांगनी चाहिए।

इसके बाद, द्रविड़ मुनेत्र कषगम के तिरुची शिवा ने मंगलवार को विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे को बोलने के दौरान ही सदन के नेता द्वारा उन्हें टोकने और अपनी बात शुरू कर देने के साथ ही खरगे का माइक बंद हो जाने का मुद्दा उठाया। खरगे उस समय व्यवस्था के प्रश्न को उठाने के क्रम में अपनी बात रख रहे थे।

शिवा ने कहा, ‘‘यह कैसे हुआ और क्यों हुआ, कृपया सदन को अवगत कराएं।’’

इस पर सभापति ने स्पष्ट किया कि खरगे का माइक बंद नहीं किया गया था।

केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि जब आसन द्वारा नियम 176 के तहत चर्चा शुरु कराने की व्यवस्था दे दी गई है तो सदन चलना चाहिए और बहस आरंभ होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि विपक्ष चर्चा नहीं चाहता और वह पूरे सत्र को बर्बाद करना चाहता है।

हंगामे के बीच, सभापति ने खरगे को बोलने का अवसर दिया। खरगे ने भी माइक बंद करने का मुद्दा उठाया और इसे अपना अपमान करार दिया और कहा कि इससे उनके आत्म सम्मान को ठेस पहुंची है।

विपक्षी सदस्य अपने-अपने स्थानों पर खड़े होकर आसन से खरगे को बोलने देने की मांग की। इसी दौरान सत्ता पक्ष के सदस्यों की ओर से हंगामा आरंभ हो गया।

सत्ता पक्ष के सदस्य मोदी-मोदी के नारे लगा रहे थे तो विपक्षी सदस्य ‘इंडिया-इंडिया’ के नारे लगा रहे थे।

सभापति ने दोनों पक्षों से सदन में शांति बनाए रखने की अपील की। उन्होंने सदन के नेता और विपक्ष के नेता से आग्रह किया कि वे अपने पक्ष के सदस्यों को शांत करें। लेकिन स्थिति ज्यों की त्यों बनी रही। हंगामा थमते नहीं देख सभापति ने 11 बजकर 42 मिनट पर सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

ब्रजेन्द्र अविनाश

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