Mann Ki Baat: प्रधानमंत्री मोदी ने ‘मन की बात’ में जनता के मुद्दों का उल्लेख नहीं किया- कांग्रेस

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने रविवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में उन मुद्दों का जिक्र नहीं किया, जिनके बारे में लोग सुनना चाहते थे.

Pawan Kheda

नयी दिल्ली, 30 जून : कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने रविवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में उन मुद्दों का जिक्र नहीं किया, जिनके बारे में लोग सुनना चाहते थे. प्रधानमंत्री द्वारा अपने तीसरे कार्यकाल में पहली बार ‘मन की बात’ कार्यक्रम को संबोधित करने के बाद उन पर कटाक्ष करते हुए कांग्रेस के मीडिया एवं प्रचार प्रमुख खेड़ा ने सवाल किया कि उन्होंने नीट, रेल दुर्घटना या “बुनियादी ढांचों के गिरने” का उल्लेख क्यों नहीं किया. खेड़ा ने कहा कि भले ही यह मोदी का तीसरा कार्यकाल है, लेकिन यह उनके अपने बल पर नहीं है. खेड़ा ने कहा, “सरकार बैसाखियों पर चल रही है. हमें लगा कि इस बार वह कुछ समझदारी वाली बात कहेंगे.”

खेड़ा ने कहा, “उन्होंने (मोदी ने) नीट, रेलवे दुर्घटना या आए दिन होने वाली बुनियादी ढांचों के गिरने की घटनाओं के बारे में कुछ नहीं कहा, जिसके बारे में हम सुन रहे हैं.” खेड़ा ने कहा, ‘‘उन्होंने दिल्ली हवाईअड्डे पर हुई गंभीर घटना पर कुछ नहीं कहा, जिसमें एक व्यक्ति की जान चली गई.’’ उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने लोगों से जुड़े किसी मुद्दे पर कुछ नहीं कहा. उन्होंने आरोप लगाया, “प्रधानमंत्री ने लोगों के हित से जुड़े किसी मुद्दे पर बात नहीं की. उनका तरीका एजेंडा बदलने का रहा है, क्योंकि हर कोई नीट, घोटालों के बारे में बात कर रहा है, इसलिए ध्यान भटकाने के लिए आप केरल से छाता लाने की बात कर रहे हैं....” यह भी पढ़ें : भारतीय लोकतंत्र का भविष्य संवारने के लिए क्या करना होगा?

उन्होंने कहा, “चुनावों के दौरान आप उत्तर को दक्षिण के खिलाफ खड़ा कर रहे थे... क्या आपको लगता है कि लोग भूल जाएंगे? आप प्रचार के दौरान जो कहते हैं वह सच है, अब आप जो कर रहे हैं, वह दुष्प्रचार है.” प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तीसरी बार देश की कमान संभालने के बाद अपने पहले ‘मन की बात’ रेडियो कार्यक्रम में रविवार को कहा कि लोगों ने दुनिया के सबसे बड़े चुनाव में देश के संविधान और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में अपना अटूट विश्वास व्यक्त किया है. इन चुनावों में 65 करोड़ लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया.

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