देश की खबरें | जांच सीबीआई, एसआईटी को स्थानांतरित करने की शक्ति का प्रयोग संयमित तरीके से होना चाहिए: न्यायालय

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि किसी जांच को अधिकृत एजेंसी से केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को स्थानांतरित करने या विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने की शक्ति का प्रयोग संयमित ढंग से और असाधारण परिस्थितियों में किया जाना चाहिए।

नयी दिल्ली, तीन जनवरी उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि किसी जांच को अधिकृत एजेंसी से केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को स्थानांतरित करने या विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने की शक्ति का प्रयोग संयमित ढंग से और असाधारण परिस्थितियों में किया जाना चाहिए।

शीर्ष अदालत ने अडाणी समूह द्वारा स्टॉक मूल्य में हेरफेर के आरोपों की जांच को एसआईटी या सीबीआई को स्थानांतरित करने से इनकार करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता को रिकॉर्ड पर मजबूत सबूत पेश करना होगा जो दर्शाता हो कि जांच एजेंसी ने समुचित कार्रवाई नहीं की या जांच प्रथम दृष्टया पक्षपातपूर्ण प्रतीत हो रही है।

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने उन याचिकाकर्ताओं की दलीलों पर गौर किया जो भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) से जांच को सीबीआई या एसआईटी को स्थानांतरित करने का अनुरोध कर रहे थे।

पीठ ने कहा, ‘‘इस अदालत के पास संविधान के अनुच्छेद 32 और अनुच्छेद 142 के तहत किसी जांच को अधिकृत एजेंसी से सीबीआई को स्थानांतरित करने या एसआईटी गठित करने की शक्ति है। हालांकि, ऐसी शक्तियों का प्रयोग संयमित ढंग से और असाधारण परिस्थितियों में किया जाना चाहिए।’’

शीर्ष अदालत ने अडाणी समूह द्वारा स्टॉक मूल्य में हेरफेर के आरोपों के संबंध में अडाणी-हिंडनबर्ग विवाद को लेकर कुछ याचिकाओं पर 46 पन्नों का फैसला सुनाया।

पीठ ने कहा कि वैधानिक रूप से जांच करने की शक्ति जिस प्राधिकार को सौंपी गई है, उसके द्वारा जांच में जानबूझकर उदासीनता की बात सामने नहीं आती है, अदालत उससे जांच की जिम्मेदारी नहीं ले सकती। पीठ ने कहा कि ठोस औचित्य के अभाव में अदालत द्वारा ऐसी शक्तियों का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए।

शीर्ष अदालत के एक हालिया फैसले का हवाला देते हुए पीठ ने कहा कि उसने इस सिद्धांत को दोहराया है कि किसी जांच को सीबीआई जैसी जांच एजेंसियों को स्थानांतरित करने की शक्ति केवल दुर्लभ और असाधारण मामलों में ही लागू की जानी चाहिए।

पीठ ने कहा, ‘‘इसके अलावा, कोई भी व्यक्ति इस बात पर जोर नहीं दे सकता कि अपराध की जांच किसी विशिष्ट एजेंसी द्वारा की जाए क्योंकि दलील केवल यह हो सकती है कि अपराध की उचित जांच की जाए।’’

पीठ ने कहा कि सेबी द्वारा जांच किये गये 24 मामलों में से 22 में जांच पूरी हो चुकी है। अदालत ने कहा कि 22 अंतिम जांच रिपोर्ट और एक अंतरिम जांच रिपोर्ट को सेबी की प्रक्रियाओं के तहत सक्षम प्राधिकारी द्वारा अनुमोदित किया गया है।

पीठ ने कहा, ‘‘अंतरिम जांच रिपोर्ट के संबंध में सेबी ने कहा है कि उसने बाहरी एजेंसियों, संस्थाओं से जानकारी मांगी है और ऐसी जानकारी मिलने पर भविष्य की कार्रवाई तय की जाएगी।’’

शीर्ष अदालत ने कहा कि सेबी ने अपनी स्थिति रिपोर्ट में अपने द्वारा की गई प्रत्येक जांच की वर्तमान स्थिति और दो में अंतरिम निष्कर्षों के कारण पेश किए हैं।

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